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________________ 51 गांधीनगरापि उटका सुधी भगवान. २ सोथी दस दस घटतुं, पचासथी पांच पांच नेमनाथ बावीशमा, दश धनुष्यनु मान. २ पारसनाथ नव हाथर्नु, सात हाथ महावीर; अहवा जिन चोविशनु, कवियण कहे सुधिर, ३ (132) श्री चोवीश जिननां आयुष्यनुं चैत्यवंदन प्रथम तीर्थकर आउ, पूर्व चोराशी लाख; बीजा बहोतेर लाखनु, त्रीजा साइठ लाख. १ पचास चालीस-त्रीसने, वीशने दशने दोय; अक लाख पूर्व तणुं, दशमा शीतल जोय. २ हवे चोराशी लाख वर्ष, बारमा बहोतेर लाख; साईठ त्रीस ने दशर्नु, शांति ओक ज लाख. ३ कुंथु पंचाणुं हजारर्नु, अर चोराशी हजार; पंचावन त्रीसने दशर्नु, नेम ओक हजार. ४ पार्श्वनाथ सो वर्षतुं, बहोतेर श्री महावीर; अहवा जिन चोवीशर्नु, आयु सुणो सुधिर. ५ (133) श्री चोवीश जिन- चैत्यवंदन ऋषभ अजित संभव नमुं, अभिनंदन जिनराज; सुमति पद्म सुपार्थजिन, चंद्रप्रभ महाराज. १ सुविधि शीतल श्रेयांसजिन, वासुपूज्य सुख वास; विमल अनंत श्री धर्मजिन, शांतिनाथ पूरे आश. २ कुंथु अर मल्लीजिन, मुनिसुव्रत जगनाथ; नमि नेमि पार्थ वीर ओ, साचो शिवपुर साथ. ३ द्रव्यभावथी सेवी अ, वाणी मन उल्लास; आतम निर्मल किजीये, जिम पामीये शिव पास. ४ ओम चोवीस जिन समरतांओ, पहोंचे मननी आश; अमी कुमार अणी परेभणे, ओ पामे लील विलास. ५ . (134) सरस्वती देवी धरी मनरंग, उलटआणी घणुं अंग, चैत्यवंदननो कहुं विचार, जोजो ग्रंथतणे अनुसार ॥१॥ देह -रे जावा मनधरे, चोथलाभते पोतेवरे, ऊभोथावे देहराकाज, छठलाभ कह्यो जिनराज ॥२॥ जिनघर जावा उद्यमकरे, अट्ठमनोतप लाभेखरे, देहरां सामां पगलां भरे, दसमलाभ तप पोते वरे ॥३॥ जिनघर पंथ प्रवर्ते जिसे, द्वादशनो फललाभे तिसे, अर्धपंथ जिसे अतिक्रमे, पासखमण फलतेणेसमे ॥४॥ मासखमण फल पामे खरो, द्रष्टे दीठो जिनदेहरो, जेहफल पामे छे षटमास, तेहफल पामे देहरापास ॥५॥ वर्षीतपनो जेहफलसार, तेहफलपामे देहराबार, वर्षसहस
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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