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________________ अन्तराल में भटकती आत्माएँ [८३ आधार पर लिखा है कि हिटलर के आसपास सदा एक असुर सत्ता विद्यमान रहती थी जो प्रकट होकर नृशंस कार्यों में उसकी सहायता व प्रेरणा दिया करती थी। यह सत्ता १६१६ में उसके सम्पर्क में आई । हिटलर का अन्त भी इसी सत्ता ने किया। नेपोलियन के आसपास भी ऐसी ही असुर सत्ता मँडराती रहती थी जो उससे सदा क्रूर कर्म कराती रही व अन्त में वही उसकी मृत्यु का कारण बनी। १४वीं सदी में रोम का शासक नीरो भी ऐसी ही सत्ता के चंगुल में फँसकर क्रूर कर्म करता रहा। - ये दुष्ट आत्माएँ अपने अनुकूल माध्यमों पर ही सवार होती हैं और यन्त्रमानव की तरह उससे दुष्ट कर्म करवाती रहती हैं। वैज्ञानिकों ने भी इसकी पुष्टि की है कि हमारे चिंतन के अनुसार मस्तिष्क के चारों ओर एक क्षेत्र-आइडियोस्फीयर में यह एकत्र हो जाता है। इसी के अनुसार वह चिंतन धारा स्वतन्त्र सत्ता का रूप धारण कर आकर्षित होकर व्यक्ति से भले-बुरे कर्म करवाती है। ___ ये आसुरी शक्तियाँ व्यक्ति के चिंतन प्रवाह के अनुसार ही आकर्षित होती है। शुभचिंतन, उच्च विचार, श्रेष्ठ विचार बालों की ओर श्रेष्ठ आत्माएँ ही आकर्षित होती हैं।
SR No.032177
Book TitleMrutyu Aur Parlok Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Dashora
PublisherRandhir Book Sales
Publication Year1992
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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