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________________ सूक्ष्म शरीर स्थूल शरीर से भिन्न [४६ गम्भीर आपरेशन के समय डाक्टरों ने अनुभव किया कि उसका शरीर निष्प्राण हो चुका है, साँस बन्द हो गई थी, नाड़ी डूबती जा रही है, हृदय भी धीरे-धीरे धड़क रहा था। जब वह स्वस्थ हुई तो उसने अपना अनुभव बताया, “मैंने अपना आपरेशन अपनी आँखों देखा है।" टेलर बेहोश थी। वह अपना आपरेशन कैसे देख सकती थी किन्तु उसने अनुभव किया कि वह अपने शरीर से बाहर होकर अपने ही शरीर को ऐसे देख रही थी जैसे वह किसी दूसरे का शरीर हो । डाक्टरों ने आपरेशन के बारे में कई प्रश्न किए तो उसने आपरेशन की प्रत्येक प्रक्रिया बता दी। वह उसका सूक्ष्म शरीर ही था। (३) प्रसिद्ध मनोचिकित्सक विज्ञानी डा० थैयला मौस ने सिद्ध कर दिखाया कि, "कोई भी व्यक्ति अपनी चेतना को अपने शरीर से बाहर निकाल सकता है और पल भर में हजारों मील दूर जा सकता है।" शरीर के नियम बन्धनों से मुक्त मानवी चेतना को प्रमाणित करने के लिए डा० मौस ने कई घटनाओं का उल्लेख किया। एक घटना १६०८ की है। ब्रिटेन के हाउस ऑफ लोड्स के अधिवेशन में विरोधी दल के अविश्वास प्रस्ताव पर एक दिन मतदान होने वाला था। उसमें सत्तारूढ़ दल के एक सदस्य सर कार्नरास गम्भीर रूप से बीमार थे व सदन में उपस्थित होने के योग्य नहीं थे किन्तु वे सदन में अपने स्थान पर बैठे और मतदान करते देखे गए जबकि डाक्टरों का कहना था कि वे अपने बिस्तर से हिले भी नहीं थे। . (४) डा० मौस ने एक दूसरी घटना का उल्लेख किया। ब्रिटिश कोलम्बिया की विधान सभा का अधिवेशन चल रहा
SR No.032177
Book TitleMrutyu Aur Parlok Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Dashora
PublisherRandhir Book Sales
Publication Year1992
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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