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________________ १८] मृत्यु और परलोक यात्रा इस देव समुदाय का दूसरा वर्ग यक्ष, गन्धर्व और सिद्ध पुरुष हैं। यक्ष' और गन्धर्व सुरक्षित सेना की तरह हैं। ये महत्वपूर्ण कार्यों में ही काम करते हैं। इन्हें 'दिग्पाल' और "दिग्गज' भी कहते हैं । गन्धर्व कला के उद्गम हैं तथा उल्लास के कर्णधार हैं। काम कौतुक में भी इनका हस्तक्षेप है। ये देवता, यक्ष, गन्धर्व उच्च लोक के निवासी हैं। ये पात्रता के अनुसार मनुष्य पर अहैतुकि कृपा करते रहते हैं। आराधना, अनुष्ठान से भी ये प्रसन्न होकर अनुग्रह करते देखे गए हैं। ___ तीसरा वर्ग सिद्ध पुरुषों और पितरों का है जो भू लोक वासी प्राणियों से अधिक घनिष्ठ सम्बन्ध रखते हैं तथा इनके कार्यों में अधिक रुचि लेते हैं व सहयोग करते हैं। इनके शरीर सूक्ष्म होते हुए भी आवश्यकतानुसार ये स्थूल शरीर धारण करते रहते हैं । इनके कार्य सूक्ष्म शरीर द्वारा व्यापक स्तर पर किए जाते हैं जो स्थूल शरीर से सम्भव नहीं है । इनकी जीवन अवधि असीम होती है । इनकी क्षमता देवलोक के साथ जुड़ी रहती है । ये कहीं भी आ जा सकते हैं। ये असाधारण क्षमताएँ एवं सफलताएं प्रदान करने को उत्सुक रहते हैं। ये योग्य पात्र की स्वयं तलाश कर उसी को अपना बहुमूल्य अनुग्रह प्रदान करते हैं । ये ही सिद्ध पुरुष भौतिक शरीर में 'ऋषि' कहलाते हैं तथा सूक्ष्म शरीर में इन्हें 'दिव्य पुरुष' कहते हैं । ये दैव और मनुष्य की बीच की स्थिति में होते हैं । इनसे सम्पर्क किया जा सकता है। भौतिक लाभ के लिए ये पितर ही सहायता करते हैं । इसके लिए सिद्ध पुरुषों से सम्पर्क करना उचित नहीं है । ये केवल आत्मिक उन्नति में ही सहायक होते हैं । ये उपयुक्त पात्र की तलाश में रहते हैं जिसके माध्यम से अपना ज्ञान सृष्टि को देते हैं ।
SR No.032177
Book TitleMrutyu Aur Parlok Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Dashora
PublisherRandhir Book Sales
Publication Year1992
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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