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________________ [28] इस सुषुप्तावस्था में कोई स्त्री या पुरुष साक्षात् होगा । जो उससे जानना हो जान लें । मन्त्र निम्नलिखित है जोजन गन्धा जोगिनी । ऋद्ध सिद्ध में भरपूर ॥ मैं आया तोय जाचणे । करजो कारज जरूर ॥ आगे बढ़ने से पूर्व एक बात बता दूँ कि मैंने यह परम गोपनीय दुर्लभ प्रयोग बताया है और मैं जानता हूँ कि आप इसे अवश्य करेंगे। एक बात समझ लें कि आप कितने भी समझदार और बहादुर हों, कोई भी प्रयोग किसी से पूछ कर करें क्योंकि आपकी समझदारी व बहादुरी पर सन्देह नहीं हैं बल्कि समाज में 60% लोगों के शरीरों पर इस तरह का मायाजाल रहता है कि उन्हें वह परेशान करने लग जाता है और उस परेशानी का कारण साधक लेखक को मानने लग जाता है । एक बात पुन: समझ लें कि इस पुस्तक व अपनी समस्त पुस्तकों के द्वारा मैंने आपको पराविज्ञान की दुर्लभ ज्ञान गंगा प्रदान की है। इसमें नहाने वाला चमत्कारिक शक्तियों को प्राप्त करता है तो कुछ लोग इसका वेग संभाल न सकने के कारण बह जाया करते हैं । अतः कोई भी प्रयोग करने से पूर्व ज्ञान - गंगा में तैरना सीखिये । खाना खाकर पेट तो भरता ही है पर कई बार खाना विषाक्त भी होता है । जिस प्रकार इस विद्या से लाभ आप उठाते हैं उसी प्रकार से इसकी हानियाँ भी आपको ही उठानी पड़ सकती हैं । यह तो हो ही नहीं सकता कि लाभ तो सारा आप बटोर लें और हानि औरों को मिले । अब एक और विशेष मन्त्र अपने दुर्लभ प्रयोग के साथ प्रस्तुत हैएक चौका लगायें और उसके मध्य में एक दीपक रखकर देशी घी
SR No.032163
Book TitleSwapna Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYogiraj Yashpal
PublisherRandhir Prakashan
Publication Year1993
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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