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________________ भीतरी घेरों के वृत्त निर्माण करते हैं। बिलकुल केन्द्र में लाल रंगवाले, सबसे भारी कंकड़ों का वृत्त बनता है जिसे 'वैक्स' कहते हैं। अब हीरेके शोधकों की नजर इस लाल वैक्स के केन्द्र पर जम जाती है। यदि कोई छोटा-सा नगण्य-सा सफेद, पारदर्शी कंकड़ नजर आ गया, तो खुशी से पागल, हीरे का खोजी उछल पड़ता है और अपनी पिस्तौल से छः हवाई फायर करता है। हां दुनियां जान ले कि उसका सपना चरितार्थ हो गया है। पर पिस्तौल फायर करने का मौका शायद माह में, या वर्ष में एकाध बार ही किसीको मिलता है और किसी को कभी नहीं । अपनी-अपनी किस्मत का खेल है । बाकी समय ये खोजी, दिन भर तो कंकड़ों के वृत्त बनाया करते हैं और रातों को अंडे के बराबर और उससे भी बड़े-बड़े हीरे खोज लेने के सपने देखते हैं। ___ मैं अपनी किस्मत के दिन तक न रुक पाया। कुछ ही दिन की खोज के बाद, मेरे शरीर की हड्डी-हड्डी दुखने लगी । मैं कठिनाई से ही हाथ-पैर हिला सकता था। दिल जैसे बैठा जाता था। मैंने तो इस काम से सदा के लिए विदा लेने का निश्चय किया, परन्तु मेरा सहयात्री, मुझ से ज्यादा आशावादी सिद्ध हुमा । हो सकता है अब तक वह लखपति बन चुका हो। हो सकता है, बेचारा बीमारी और निराशा का शिकार ! कौन जाने क्या हो ! इस अवतरणसे स्पष्ट है कि लोगोंको इच्छाओं द्वारा प्रेरित होने पर जागते सोते सपने ही सपने आया करते हैं। किसी निस्तृष्ण-प्रात्मानन्दी को न भी पाते हों यह बात अलग है, परन्तु सपने आने में देहधारी मानवकी मानवी नहीं बल्कि दानवी प्रकृति की तृष्णा या मांग इसका मुख्य हेतु बन जाता .
SR No.032161
Book TitleSwapna Sara Samucchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurgaprasad Jain
PublisherSutragam Prakashak Samiti
Publication Year1959
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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