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________________ २२. रहे थे। पता नहीं उनमेंसे कितनोंका सपना चरितार्थ हो सकेगा ? जब मैंने अपने एक सहयात्री पर अपना संदेह प्रकट किया, उसने प्रस्तावित किया कि क्यों न हम अपनी भी किस्मत आजमायें ? मैं तुरन्त मित्रके प्रस्ताव पर तैयार हो गया और हीरोंकी इस खोज तथा उनके खोजियोंके संबंधमें मनोरंजक तजुर्वे हासिल किये। ब्राजील में कोई तीन लाख इंसानोंको हीरोंकी खोजका बुखार चढ़ा रहता है । दूर-दूरके देशों, यहाँ तक कि दूसरे भू-भागों से, लोग अपनी किस्मत आजमाने ब्राजील आते हैं । ब्राजीलके अछोर और अगम वन प्रदेशसे बहनेवाली नदियोंमें ये लोग या तो सामूहिक रूप से या अकेले ही, हीरोंकी शोधमें फैल जाते हैं । ये अपनी मनचाही जगह खोज लेते हैं और लखपती बननेकी रंगीनी में डूब जाते हैं। जो, अपने इस अभिमानके लिए पर्याप्त भोजन और धन लाते हैं, वे तो अकेले ही हीरोंकी खोज में लग जाते हैं। किन्तु जो लोग पर्याप्त साधनसम्पन्न नहीं होते, वे किसी 'पूँजीवादी' द्वारा आयोजित समूहके अंग बन जाते हैं। इस 'पूजीवादी' की ओरसे उसे झोंपड़ी और खान-पानकी सुविधा मिलती रहती है, सिर्फ इसी एक मात्र शर्त पर कि इस सुविधाके दौरान में प्राप्त होनेवाले हीरोंमें, पूजीवादी का निश्चित हिस्सा होगा। ___ सूर्योदयसे सूर्यास्त तक, घुटने-घुटने पानी में हाथोंमें चलनी लिये हुए, कमर झुकाकर खड़े रहना होता है । पहले बड़े छेदों वाली चलनीसे बड़े-बड़े पत्थर छांट दिये जाते हैं,फिर क्रमशःतीन चलनियोंसे छोटे-छोटे कंकड़ छाने जाते हैं । अन्तमें बिलकुल छोटी कंकड़ियाँ रह जाती हैं, जिन्हें पानीके बहावकी प्रक्रिया में छोड़ दिया जाता है । इस प्रक्रिया द्वारा इन कंकड़ोंके छोटे-बड़े घेरे जैसे बन जाते हैं हल्के कंकड़ बाहरी घेरों और अपेक्षाकृत भारी कंकड़
SR No.032161
Book TitleSwapna Sara Samucchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurgaprasad Jain
PublisherSutragam Prakashak Samiti
Publication Year1959
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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