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________________ टोकागत विशिष्ट शब्दानुक्रमणिका ३६ द्वीप .८५ क्षपक श्रेणी क्षयोपशम क्षेत्रलोक ५, १२, २७, २६ ११, १२, २६ खेट गणधर ३५, ३८,४६, द्वेष धर्मध्यान धर्म्यध्यान नगर नमस्कारनियुक्ति नय नरक नामकर्म गीतार्थ गुणश्रेणि गोत्र घन घनवात . घनोदधि चतुर्दशपूर्वी चतुर्विशतिदण्डक : चतुर्विशतिस्तव चमर चरणधर्म चरित उदाहरण चारित्र चिलातीपुत्र चैत्यधन जिन जीव ज्योतिष्क विमान ज्ञान ज्ञानावरणीय , तनुवात तप तिर्यग्गति तीर्थकर दण्डायत दर्शन दर्शनदीपक गुण दावानल धूतकार द्रव्यनिक्षेप द्रव्यार्थादेश द्रव्यास्तिक नय द्वादशानुप्रेक्षा द्वादशांगी नामनिक्षेप निकाचित निर्ग्रन्थ निर्जरा निर्वेद नैगम परममुनि परलोक परसमय परीषह पर्याप्त पर्यायलोक पंचास्तिकाय पाताल पाषण्डप्रशंसा पाषण्डसंस्तव ५१, ५५ पुद्गल पुनरुक्त दोष पुरुषवेद १७, ३५, ३८, ६३ पूर्ववित् प्रत्याख्यानाध्ययन प्रत्युपेक्षण प्रभावना प्रमाद ५१, ६३ प्रवचन प्रशम प्राण बलदेव बाह्य करण भरत भवनवासी
SR No.032155
Book TitleDhyanhatak Tatha Dhyanstava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaribhadrasuri, Bhaskarnandi, Balchandra Siddhantshastri
PublisherVeer Seva Mandir
Publication Year1976
Total Pages200
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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