SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 158
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३ टीकागत विशिष्ट शब्दानुक्रमणिका गाथांक गाथांक ३७ ५४ ३,८१ १५ २, १०, २४ ५५, ७६ अज्ञान अणुव्रत अधर्मास्तिकाय भन्नाकार उपयोग अनित्यत्वानुप्रेक्षा अनुकम्पा अनुत्तर विमान अनुयोगद्वार अनेकान्त अन्तर्मुहूर्त अन्यदृष्टिप्रशंसा भपध्यान अप्रतिष्ठान अप्रमत्तसंयत अभूतोद्भावनवचन अर्थान्तराभिधान अयोगी अर्हत् अवलिंग अशरणभावना असम्मोहलिंग असि प्रागमिक श्रुतपाठी आज्ञा प्रायतन मायु भावश्यक आश्रव - भाश्रवक्रिया आस्तिक्य पाहारक शरीर इहलोकभय शब्द ईषत्प्राग्भार उच्छ्वास-निःश्वास उदाहरण उपधि उपयोग उपलक्षण उमास्वातिवाचक उल्मक एकत्वभावना प्रोष औदारिक शरीर कर्मप्रकृति कर्मविपाक कर्वट कल्पित उदाहरण कषाय कायक्रिया काययोग काययोगनिग्रह कायिक ध्यान कायोत्सर्ग कारक हेतु काल कालसौकरिक कांक्षा कुतीथिक कूटप्रयोग कृतयोग कृतयोगी ५५, ७६ केवल केवली
SR No.032155
Book TitleDhyanhatak Tatha Dhyanstava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaribhadrasuri, Bhaskarnandi, Balchandra Siddhantshastri
PublisherVeer Seva Mandir
Publication Year1976
Total Pages200
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy