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________________ ( ७ ) अध्याय के लघुन्यास की प्रेसकॉपी तैयार की, साथ में लिंगानुशासनम् आदि परिशिष्ट भी तैयार किए गए। दूसरी ओर इस भगीरथ कार्य की निर्विघ्न समाप्ति के लिए पूज्यपाद गच्छाधिपति आचार्यदेव श्रीमद् विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. के पुनीत शुभाशीर्वाद भी प्राप्त हुए। इस कार्य दरम्यान परमोपकारी वात्सल्यनिधि करुणामूर्ति पूज्यपाद परम गुरुदेव पंन्यास प्रवर श्री भद्रकर विजयजी गणिवर्य श्री की असीम कृपावृष्टि, परम पूज्य सौजन्यमूर्ति आचार्यदेव श्रीमद् विजय प्रद्योतनसूरीश्वरजी म. सा. की सतत प्रेरणा, प. पू. उपकारी गुरुदेव स्वर्गीय आचार्यदेव श्रीमद् विजय कुदकुदसूरीश्वरजी म. सा. की अदृश्य कृपा और प. पू सांसारिक पिता मुनि श्री महासेन विजयजी म. सा. की सहानुभूति सतत प्राप्त होती रही है। सम्पादन कार्य में आत्मीय मुनि श्री रत्नसेन विजयजी म. का जो साद्यन्त सहयोग मिला, उसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं। इस प्रकार के प्राचीन ग्रथों के पुनर्मुद्रण में प. पू. प्राचार्य श्रीमद् विजय जयघोषसूरीश्वरजी म. सा. के सदुपदेश से भेरुलाल कन्हैयालाल रिलिजीयस ट्रस्ट ने लाभ लिया है। अन्त में, इस ग्रंथ-प्रकाशन में प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से सहयोग देने वाले नामी अनामी सभी व्यक्तियों का आभार मानता हूँ। विद्याशाला, अहमदाबाद-१ --मुनि वज्रसेन विजय प्राषाढ़ सुद १४, २०४२ दिनांक २०-७-८६
SR No.032130
Book TitleSiddha Hemchandra Shabdanushasan Bruhad Vrutti Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVajrasenvijay
PublisherBherulal Kanaiyalal Religious Trust
Publication Year1986
Total Pages560
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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