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________________ अहम् ॥ पूज्यपादाचार्यदेव श्रीमद् विजय-दान-प्रेम-रामचन्द्र-भद्रंकर सद्गुरुभ्यो नमः ॥ कलिकालसर्वज्ञ-श्रीमद्हेमचन्द्रसूरिभगवत्प्रणीतं श्री सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् [ स्वोपज्ञबृहत्वृत्ति तथा 'न्याससारसमुद्धार' (लघुन्यास) संवलितम् ] तृतीयो भागः आद्य-सम्पादक : .सनसम्राट् पू. आचार्यदेव श्रीमद् विजय नेमिसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से पर पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय उदयसूरीश्वरजी म. सा. सम्पादक : जिनत्रासन-भासनभास्कर गच्छाधिपति आचार्यदेव श्रीमद् विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी म. सा. के निष्यरत्न अध्यात्मयोगी प्रामरसनिमग्न पूज्यपाद पंन्यासप्रवर श्री भद्रंकरविजयजी गणिवर्यश्री के शिष्यरत्न प्रांतमूर्ति पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय कुदकुंद सूरीश्वरजी म. सा. के विद्वान् निष्यरत्न पूज्य मुनिराज श्री वज्रसेनविजयजी म. सह-सम्पादक : सूक्ष्मतत्त्वचितक पूज्यपाद पंन्यासप्रवरश्री भद्रंकर विजयजी गणिवर्यश्री के शिष्य मुनिश्री रत्नसेन विजयजी म. प्रकाशक : भेरुलाल कन्हैयालाल रिलिजोयस ट्रस्ट चंदनबाला, बम्बई-400 006
SR No.032130
Book TitleSiddha Hemchandra Shabdanushasan Bruhad Vrutti Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVajrasenvijay
PublisherBherulal Kanaiyalal Religious Trust
Publication Year1986
Total Pages560
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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