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________________ दफा ६ ] हिन्दूलों की उत्पत्ति (१३) विश्वरूप - इस ग्रन्थके कुछ भागका अंग्रेजी भाषांतर मदरास लॉ जरनल में निकल चुके हैं । पहिले ऐसा समझा जाता था कि इस ग्रन्थका नाश होगया परंतु मलावार में एक प्रति इस ग्रन्थकी मिलगयी तथा मदरासके सीताराम शास्त्री वकीलने भाषांतर करके छपवा दिया । १७ (१४) पाराशर - - चौदहवीं शताब्दी में हुए थे ( Bibliotheca Indica series ) इस ग्रन्थ में पाराशर माधव छपचुका है । (१५) विवादार्णव सेतु -- (-- यह ग्रन्थ फिजूल समझा जाता है इसे हिन्दुस्थानके प्रथम गवर्नर जनरल वार्न हैस्टिंगस्के कहने से हलेद साहेबने सन् १७७३ ई० में अंग्रेजी भाषांतर किया था । (१६) विवादभंगार्णव -- इसे सर विलियम जोन्सके कहने से पं० जगन्नाथ तर्कपंचाननने निर्माण किया तथा मि० कोलब्रुकने अंग्रेजी भाषांतर किया इसे जगन्नाथ डाइजेस्ट कहते हैं । ( १७ ) विवाद सारार्णव-- मिथिलाके एक सुप्रसिद्ध वकील पं० सरवरी त्रिवेदीने बनाया है । कहते हैं कि यह ग्रन्थ सर विलियम जोन्सके कहने से बना था। (१५) विवादचिंतामणि -- पंद्रहवीं शताब्दी में बाचस्पति मिश्रने मिथि में इसकी सृष्टि की । ( ११ ) मयूख- - इसे नीलकण्ठ भट्टने सत्रहवीं शताब्दी के शुरूमै लिखा था यह ग्रंथ महाराष्ट्र देशमें मिताक्षरासे दूसरे दर्जेपर माना जाता है। (२०) वीरमित्रोदय -- सोलहवीं शताब्दी में लिखा गया था यह मिता क्षराका अनुयायी है और उसके अर्थको स्पष्ट करता है । इसे महामहोपाध्याय श्री मित्रने निर्माण किया चौखम्भा संस्कृत सीरीज़ काशी में प्रकाशित हो चुका है । ( २१ ) वालभट्टी - - इसे वैद्यनाथकी स्त्री लक्ष्मी देवीने सत्रहवीं शताब्दी अन्तमें निर्माण किया इसमें प्रायः नन्द पंडितका हवाला दिया गया है इस टीकासे मिताक्षराके अनेक कठिन एवं ज़रूरी स्थलोंका अर्थ स्पष्ट हो जाता है इसका बम्बई प्रांत में अधिक आदर किया गया । (२२) सुबोधिनी -- इसे विश्वेश्वर भट्टने तेरहवी शताब्दी में बनाया यह कुशी काश नामक वंशमें पैदा हुए थे । (२३) दायभाग -- यह ग्रंथ बंगालके सुप्रसिद्ध पंडित जीमूतवाहनका निर्माण किया हुआ है। इनका ठीक समय नहीं मालूम होता मगर इनके ग्रंथके प्रसिद्ध टीकाकार रघुनन्द श्रीकृष्ण तर्कालङ्कार हैं जो सोलहवीं शताब्दीके शुरू में थे तथा उनके ग्रन्थमें गोविंदराजकी टीकाका ज़िकर किया गया है जो 3
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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