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________________ ८८८ भरण-पोषण [बारहवां प्रकरण दफा ७२९ विधवाके भरण पोषणके ख़र्चकी रकम विधवाके लिये भरण पोषणकी रकम निश्चित करते हुये विधवाकी उचित ज़रूरतोंका ख्याल करना चाहिये। __ धार्मिक कृत्य जैसे दान, दक्षिणा और अन्य धार्मिक कृत्य जिनका करना रवाजके अनुसार उसका कर्तव्य है, और विधवा तथा उसके खानदानकी हैसियत, और जायदादके ख्यालसे भोजन, वस्त्र और रहने के मकानका खर्च आदि,देखो-सुन्दरजी ड्रामजी बनाम दहीबाई 29 Bom. 216; 5 I. A. 55; 22 Cul. 410-418, 12 All. 558; 25 W. R. C. R. 474,25 All. 266; 9 C. W. N. 651; 2 All. 407. हिन्दू धर्म शास्त्रोंके अनुसार यद्यपि विधवाको सब सांसारिक भोग बिलासकोत्याग करके रहने की आज्ञा है परंतु अदालत इसका ख्याल नहीं करेगी, लेकिन इसके साथही वह यह भी नहीं मानेगी कि विधवाको उसी शानशौ तसे रहनेके लिये खर्चा दिया जायकि जिस तरह वह अपने पतिकी ज़िन्दगी में रहती थी, देखो -हरी मोहनराय बनाम मयन तारा 26 W. R. C. R. 474-476; वाइसनी बनाम रूपसिंह 12 All. 558; 4 N. W. P 63; 4W. R.C. R. 65; अपने वापके घरमें रहनेसे भरण पोषणके खर्चकी जो बचत हो उसका हिसाच नहीं लगाया जायगा, देखो-25 W. A. C. A. 474, 476; ऊपर कहागया है कि भरण पोषणके खर्चकी रकम निश्चित करते समय जायदादकी कमी या ज्यादतीका ख्याल किया जायगा, परंतु केवल जायदादके ज्यादा होने के सबसे यह ज़रूरी नहीं है कि खर्च भी विधवाकोज्यादाही दिया जाय, बल्कि खर्च मांगने वालेकी हैसियत, चालचलनका भी ख्याल किया जायगा, क्योंकि सम्भव है कि इस ख्यालसे खर्च कम देना ही अदालतको उचित जान पड़े इसी तरहपर खर्चकी रक़म मांगनेवालेकी केवल ज़रूरतोंका ही स्याल करके खर्चकी रकम निश्चित नहीं की जायगी, देखो-9 B.L. R. 377-413; 18 W. R. C. R. 359-373; 6 W. R. C. R. 286. किसी हिन्दू विधवाके अधिकार परवरिश, उस आमदनीसे अधिक न होना चाहिये, जो उसके पति के उस हिस्सेकी सालाना आमदनी हो, जो उसे जीवितावस्थामें बटवारे द्वारा प्राप्त हो सकती। उसके निवास स्थान का अधिकार उसके परवरिशके आम अधिकारमें शामिल है और अदालत द्वारा प्राप्तनीय अधिकार है । उस रकममें वृद्धि होसकती है, यदि परिस्थितिमें कोई परिवर्तन हो, कवलराम बनाम ईश्वरीबाई 93 I. C. 353; A. I. R. 1926 Sind. 135. किसी हिन्दू विधवाके पास स्त्रीधन स्वरूप जवाहिरात होने के कारण, उसकी उस परवरिशमें जिसका उसे अधिकार है कोई कमी नहीं हो सकती
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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