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________________ 550 भरण-पोषण [बारहवां प्रकरण सकता है। परंतु जब तक अपने पति की कोई जायदाद दूसरे कुटुम्बियों के हाथमें न हो तब तक वह उन कुटुम्चियोंसे भरण पोषण पानेका कोई अधिकार नहीं रखती, देखो--रमाबाई बनाम त्र्यम्बक गनेश देसाई 9 Bom. H. C. 283; पति अपनी स्त्रीको अन्य वैवाहिक हक़ भलेही न दे परंतु उसके भरण पोषणका खर्च अवश्य देना होगा लेकिन यदि स्त्री व्यभिचारिणी हो तो नहीं दिया जायगा, देखो मनु कहते हैं कि-- एतदेवविधिका घोषित्सु पतितास्वपि वस्त्रानपान देयन्तु बसेयुश्वगृहांतिके । मनु०११-१८६ पतित स्त्रियोंमें भी यही विधि करे 'पतितस्योदकंकार्य' अर्थात् पतित को, सिर्फ अन्न वस्त्र देना योग्य है, इसी तरह पर पतित स्त्रियोंको अन्न वस्त्र दे और उन्हें अपने घरके समीप रखे। आशय यह है कि व्यभिचारिणी होने पर भी अन्न वस्त्र देना योग्य बताया गया है यह सदाचार और सद्व्यवहार पर निर्भर है, कानून पर नहीं। . स्त्रीके भरण पोषणका नर्च मिलना पतिके पास कोई जायदाद होने या न होनेपर निर्भर नहीं है, पति ऐसा खर्च देनेके लिये अपनी ज़ात खाससे पाबन्द है, देखो-नर्बदाबाई बनाम महादेव नरायन 5 Bom. 99, 103; (1902 ) 27 Mad. 45-48. दीवानी अदालतमें ऐसे निर्धन पतिपर यदि स्त्री अपने भरण पोषणका दावा करे जो पति न तो कुछ कमाता हो और न उसके पास कुछ जायदाद हो तो कुछ लाभ नहीं होगा। परंतु जाब्ता फौजदारी बाब ३६ के अनुसार स्त्री अपने निर्धन पतिको इस बातपर वाध्य करसकती है कि वह मेहनत, मज़दूरी करके उसका भरण पोषण करे। स्त्री पतिकी तनख्वाह से या दूसरी आमदनीसे भी अपने भरण पोषणका खर्च ले सकती है। हिन्दूधर्मसे च्युत-पतिके हिन्दूधर्म त्याग देने पर भी उसपर स्त्रीके भरण पोषणके खर्चपानेका हक बनारहता है, देखो-4Mad.H C.App.III. वैवाहिक सम्बन्ध टूटना-नेटिव कन्वर्टस मैरेज डिसोल्यूशन एक्ट सन् १८६६ई० नं० २१ की दफा २८ के अनुसार जिस स्त्रीका वैवाहिक सम्बन्ध तोड़ दिया गया हो वह भी अपने पतिसे भरण पोषणके खर्च पाने का अधिकार रखती है, अर्थात् स्त्री यदि ईसाई होजाय तो भी हिन्दू पतिसे भरण पोषणका खच उस वक्त तक पा सकती है जब तक कि वह अपना दूसरा विवाह न करले। वरासतसे वंचित पति-जब पति किसी अयोग्यताके सबबसे उत्तराधिकारसे वंचित कर दिया गया हो ( देखो ६५३ से ६५५ ) और उसकी स्त्री
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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