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________________ भरण-पोषण [बारहयां प्रकरण बाप हिन्दु हो, या बाप हिन्दू न हो मां हिन्दू हो, तो ऐसे पुत्रोंका हक़ कुछ नहीं है, देखो-12 M. I. A. 203-2207 1 Bom. 97; 1 Mad. 3063 34 Mad. 68. अनौरस पुत्रोंके भरण पोषण पानेका हक़ सिर्फ साधारण रोटी कपड़े का होता है जो उनके गुज़ारेके लिये उपयुक्त हो, खानदानकी हैसियत या दूसरी बातोंपर ध्यान नहीं दिया जायगा। अनौरस लड़कीके भरण पोषणका हक्क हिन्दूलॉ में नहीं माना गया, देखो--18 Bom. 177, 183. शूद्र--किसी शूद्रके गैर कानूनी पुत्रको जीवन पर्यन्त उसके कल्पित पिताकी मुश्तरका जायदादसे परवरिश पानेका अधिकार है, और यह परघरिश जायदादपर लागू होती है। गैर कानूनी लड़की भी कल्पित पिताके खानदानकी मेम्बर समझी जाती है और उसे भी कल्पित पिताकी जायदाद से तब तक परवरिश पानेका अधिकार है जब तक उसकी शादी न हो जाय या वह बालिग न हो जाय या इन दोनोंमें से जो पहिले हों--नटराजन बनाम मुथिया चेटी 22 L. W. 650. (३) लड़की--बिन व्याही लड़कियोंके भरण पोषणके खर्चका पाबन्द पिता है, और यदि पिता मर जाय तो वे पिताकी जायदादसे ऐसा खर्च ले सकती हैं, देखो-बाई मंगल बनाम बाई रुकमिनि 23 Bom. 291; 6 All. 632. विवाह होनेके बाद लड़की पतिके कुटुम्बकी हो जाती है, उस समय वह अपने पतिसे या पतिकी जायदाद से अपना भरण पोषण पा सकती है, देखो दफा ७२३. (४) पत्नी (जिसका पति जीवित हो ) देखो दफा ७२३. (५) विठलाई हुई औरत--बिठलाई हुई औरतका कोई हक्न भरण पोषण के पानेका नहीं होता क्योंकि उसे पुरुष जिस समय चाहे छोड़ सकता है किन्तु जो हिन्दू स्त्री किसी हिन्दू पुरुषके पास सिर्फ उसीके लिये जन्म भर तक रही हो उसके भरण पोषणका हक़ उस पुरुषकी जायदादपर रहता है, देखो दफा ७३३. (६) विधवा--देखो दफा ७२५ से ७२६. किसी हिन्दू विधवाकी परवरिशकी जिम्मेदारी जायदाद पर नहीं है और उसे परवरिशके बजाय किसी जायदादको कब्जेमें रखनेका अधिकार नहीं है। मु० फुलाझारी बनाम हरप्रसाद 3 0. W. N. 181; 93 I. C. 378; A. I. R. 1926 Oudh 338. पहले परवरिशका अधिकार उस पुरुषपर रहता है पीछे उसके न रहनेपर जायदादपर गिरता है तो प्रधान अधिकार जायदाद पर नहीं हुआ। (७) माता-देखो दफा ७२६.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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