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________________ भरण-पोषण बारहवां प्रकरण दफा ७२२ कौन लोग भरण पोषणका ख़र्च पानेके अधिकारी हैं नीचे लिखे हुये लोग भरण पोषणके खर्च पानेके अधिकारी माने गये हैं-(१) पुत्र पिताका कर्तव्य है कि वह अपने अज्ञान बालकोंकी परवरिश करे इसलिये पिता अपने अज्ञान बालकोंके भरण पोषणके खर्चका पाबन्द माना गया है परन्तु बालिग पुत्रोंका नहीं। अज्ञान बालकोंकी परवरिशकी पाबन्दी पिताकी ज़ात खासपर है, देखो--11 Mad. 91; 4 Beng. L. R. App 238 2 Bom. 46, 350, 351. मिताक्षरा लॉके कुटुम्बमें जब लड़का बालिग्न हो तो वह मौरूसी जायदादसे अपना भरण पोषण ले सकता है पिताकी जातखाससे नहीं और जहां पर न बट सकनेवाली जायदादहो या प्राइमोजेनिचर (देखो दफा ५५७). की हो वहांपर बालिग लड़के अपने भरण पोषणका खर्च उस जायदादसे ले सकते हैं, देखो--12 Bom. H. C. 94; 2 Bom. 346; 24 Mad. 147; 27 I. A. 157. पौत्र और प्रपौत्रके विषयमें भी यही कायदा लागू माना जायगा। (२) अनौरस पुत्र--हिन्दू बाप अपने अनौरस पुत्रोंके भरण पोषणका खर्च देनेके लिये पाबन्द है; देखो--धाना बनाम गेरेली 32 Cal. 479; 8 Mad. 325. मगर बापके मरतेही अनौरस पुत्रोंके भरण पोषणका खर्च मिलना बन्द हो जायगा क्योंकि बापकी जायदाद उसके वारिसोंके पास चली जायगी तथा वे अनौरस पुत्र उस जायदादमें कुछ हक नहीं रखते; देखो दफा ४०३. और अनौरस पुत्रकी सन्तानको कोई ऐसा हक नहीं होगा । उदाहरणके लिये जैसे 'अ' नामका एक हिन्दू मरा और उसने 'क' एक अनौरस पुत्र छोड़ा पीछे 'क' अपना एक औरस पुत्र छोड़कर मर गया जिसका नाम 'ख' है। अब 'ख' किसी तरहसे भी 'अ' की जायदादमें से भरण पोषणका खर्च नहीं पा सकता। 'क' अपने जीवनकालमें ऐसा हक पानेका अधिकारी था। यदि किसी स्त्रीके गर्भसे पतिके जीते जी व्यभिचार द्वारा लड़का पैदा हुआ हो, या ऐसी स्त्रीसे पैदा हुआ हो जो एकही आदमीके पास न रहती हो या मां हिन्दू न हो और
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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