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________________ ८७४ स्त्रियोंके अधिकार [ग्यारहवां प्रकरण विधवा 'भार' और उसकी लड़की, तथा 'ए' की विधवा 'पी' और 'के' का गोद उचित मानकर बांटले । 'पी' ने वह जायदाद इन्तकाल करदी जो उसे समझौते में 'के' के गोद लेने की हैसियत से मिली थी। 'के' उस समझौते में फरीक था। __ पहले लड़की मरी उसके बाद विधवा 'भार' मरगयी। 'आर'के मरने पर 'के' ने यह दावा किया कि 'आर' का मैं रिवर्जनर हूं, 'आर' की जायदाद मुझे मिले। इन वाकियातों पर विचारकर प्रिवी कौंसिलके विद्वान् जजों ने तय किया कि 'के' रिवर्जनी हक़ प्राप्त करनेसे महरूम था, देखो-45 I. A. 118; 40 All. 487; 47 I. C. 207. (२) अगर रिवर्जनर तस्फीयेमें फरीक हो जो घरू ( Family arrangement ) तौरसे किया गयाहो तो भी वह रिवर्जनरी हक़से महरूम रहेगा, देखो--24 Cal. W. N. 105; 50 I. C. 812 ( P. C ) ___ उदाहरण-एक हिन्दू बनारस स्कूलका पाबन्द है वह एक विधवा 'ज' और तीन लड़कियां 'अ' 'ब' 'स' और 'अ' तथा 'स' से उत्पन्न दोनाती (लड़कीके लड़के)छोड़कर मरगया । विधवा 'ज'ने उस जायदादके पूरेहकों सहित पानेका दावा किया जो लड़कियोंके बापकी थी। तब विधका 'ज' के और लड़कियों के दरमियान तस्फीया होगया जिसके ज़रियेसे कुछ जायदाद लड़कियोंके लड़कों 'क' 'ख' को देदी गयी और कुछ जायदाद लड़कियोंके दरमियान बांट दीगयी जिसमें उनका हक़ पूरा माना गया । लड़कियां और उनके लड़कोंने अपने हिस्से की जायदादपर फौरन कब्जा कर लिया । और वे जायदादका उपयोग पूरे मालिककी तरह पर करने लगे। 'स' ने अपने हिस्सेकी जायदाद रेहन करदी और 'ब' ने अपने हिस्सेकी जायदाद 'ग' के हाथ बेच दी। इस तस्फीया की तारीखसे करीव ३७ वर्षके बाद 'स' मर गयी। 'स' के मरजाने पर 'ब' ने 'ग' पर यह दावा किया कि जो जायदाद उसने बेचदीथी दिला दीजाय इस बयान से दावा किया कि जायदाद मेरे बापकी है और मेरी मां और मेरी बहन के मरनेके पर वह अपने बापकी जायदादकी पूरी मालिक होगी और उस वक्त उसे क़ब्ज़ा मिल सकता था। प्रिवी कौंसिलके जजोंने तय किया कि 'व' घरू तस्फीयेमें फरीक थी उसका अलग रहना मंजूर नहीं किया गया था उस पर विश्वास करके बैनामा हुआ था । तस्फीयासे ३८ वर्षके बाद यह दावा दायर हुआ सब फरीक़ जो उस तस्फीयेमें शरीक थे अपने अपने हिस्सेकी जायदादपर पूरा हक़ बनाये रहे किसी दूसरे फरीकने कोई आपत्ति नहीं की इसी तरहकी अनेक घटनाएं हुयीं इसलिये अब वह ऐसे बैनामापर आपत्ति नहीं करसकती जो उसके विश्वासपर किया गया है, देखो-24 Cal. W. N. 105. विधवाका समझौता करना-किसी मुकद्दमेका वाज़ाब्ता समझौता, किसी हिन्दू विधवा द्वारा, उसके ठीक होशहवास और इस विश्वास पर कि
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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