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________________ दफा ७१६-७१८ ] स्त्रियों की वरासतकी जायदाद ४ ) अगर स्त्री ने मिलकर किसी से जायदाद पर डिकरी कराली हो तो वह डिकरी नाजायज़ होजायगी रिवर्जनर उसके पाबन्द नहीं होंगे, देखो - 11 Bom. 119. दफा ७१८ समझौता ८७३ इलाहाबाद हाईकोर्टने माना हैं कि अदालतमें बाक़ायदा मुक़द्दमा चलाने के बाद जो डिकरी हुई हो उसीके पाबन्द रिवर्जनर हैं, लेकिन वह किसी समझौते के पाबन्द नहीं होंगे, डिकरीके बाद समझौता हुआहो तो भी पाबन्द नहीं होंगे, देखो -- महादेवी बनाम बलदेव 30 All. 75; गोविन्द कृष्णनरायन बनाम खुन्नीलाल 29 All. 187; सन्तकुमार बनाम देवसरन 8 A11.365; रामस्वरूप बनाम रामदेवी 29 All 239; 10 C. L. R337; 5 Bom. L. R. 885; ( मगर क़ानूनी ज़रूरत की बुनियादपर समझौता हो सकता है ) मदरास हाईकोर्डने यह माना है कि जब स्त्रोको यह निश्चय हो कि दावा सच्चे और उचित कर्जे की बुनियाद पर किया गया है तो वह स्त्री उस मुक़द्दमे में जवाबदावा लगाने के लिये मज़बूर नहीं है 30 Mad. 3; 17 Mad. L. J. 160. सुलहनामा रिवर्ज़नरके साथ - ( १ ) जो किसी सीमाबद्ध वारिसनें, होनेवाले वारिस प्रेजेटिव या कनटिन्जेण्ट ( Presumptive or Contingent ) रिवर्ज़नरके साथ मिलकर कोई सुलहनामा करले या उसके साथ पंचायत करले तो वह रिवर्ज़नर 'स्टापुल' के सिद्धांतसे अपने इनको नहीं पा सकेगा अर्थात् महरूम हो जायगा 45I.A. 118,40All 487; 47I.C. 207. उदाहरण - 'ए' और 'बी' दो भाई हैं जो हिन्दूलों के बनारस स्कूल के पाबंद हैं । 'ए' मर गया और उसने एक विधवा 'पी' छोड़ी। 'ए' के मरने पर 'बी' मे खानदानी जायदादपर क़ब्ज़ा सरवाइवरशिप ( देखो दफा ५५८ ) के अनुसार कर लिया । 'पी' का कहना है कि उसका पति अलहदा रहता था 'बी' से और उसने 'के' लड़के को अपने पतिं 'ए' के लिये गोद लिया । 'के' है 'पी' के पति की बहनका लड़का । उसके बाद 'बी' एक विधवा 'आर' व एक लड़की छोड़कर और 'के' को छोड़कर मर गया । 'बी' के मरनेपर उसकी जायदाद उसकी विधवा 'आर' को पहुंच गयी और 'आर' के मरनेपर उसकी लड़की को जायदाद सीमाबद्ध अधिकार से पहुंचगयी श्रव उस लड़की के मरने के बाद 'के' रिवर्ज़नरकी हैसियत से उस जायदादका हक़दार है अगर 'के' जायज़ तौर से गोद लिया गया है यहां पर देखिये लड़की ( Presumptive ) रिवर्ज़नर है और 'के' ( Contingent ) रिवर्जनर है. । 'बी' की विधवा 'आर' ने दो दावे दायर किये एक में कहा कि मेरा पति खानदानकी कुल जायदादका अकेला मालिक था और दूसरे में कहा कि 'के' का गोद क़ानूनन् नाजायज़ है । तब समझौता हुआ कि जायदाद 'बी' की 110
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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