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________________ स्त्रियोंके अधिकार [ ग्यारहवां प्रकरण एक जायदाद जो सब रिवर्जनरोंकी मंजूरीसे विक चुकी हो तो पीछे पैदा होने वाले वारिस उसपर कोई झगड़ा नहीं कर सकते, जैसे -- किसी विधवाके लड़की और देवर ( पतिका भाई ) मौजूद हैं, विधवाने जायदादका इन्तक़ाल करते समय दोनोंकी मंजूरी योग्य रीति से लेली थी, पीछे लड़की के लड़का पैदा होगया तो अब वह नेवासा इस इन्तक़ालपर कोई बाधा नहीं कर सकता - इसी तरहपर अगर विधवाने पीछेसे कोई लड़का गोद लिया होता तो वह भी इसका पाबन्द होता; देखो -- 25 Bom. 129; 3 W. R. C. R. 14. दफा ७१० ८६८ अगर कोई स्त्री जायदादका अपना हक़ रिवर्जनर को दे दे विधवा या दूसरी सीमाबद्ध स्त्री मालिक हर समय अपनी सारी जायदाद या उसका कोई हिस्सा अपने बादके होने वाले वारिसको दे सकती है और वह उसी समय से जायदादका पूरा मालिक हो जाता है; देखो -- 31 Mad. 366. गङ्गाप्रसाद बनाम शम्भूनाथ 22 W. R C. R 393. यह भी माना गया है कि प्रत्येक स्त्री मालिक अपने बादके होने वाली किसी स्त्री रिवर्जरको भी जायदाद दे सकती है; भूपालराम बनाम लक्ष्मीकुंवर 11 All. 253. रूपराम बनाम रेवती 32 All. 582; जब कोई स्त्री रिवर्जनरको जायवाद दे तो सब रिवर्जनरों को देना चाहिये जो उस समय मौजूद हों और जिनको उस स्त्रीके मरनेपर जायदाद पानेका हक़ हो, अगर उनमें से किसी एक रिवर्जनरको जायदाद दी गई हो तो योग्य नहीं समझा जायगा; हेमचन्द्र बनाम स्वर्णमयी देवी 22 Cal. 355; 12 C. W. N 49. अपने रिवर्जन की मंजूरीसे, उस रिवर्जनरके बादके रिवर्जनरको भी जायदाद दी जा सकती है 1 W. R. C. R. 98; अगर कुछ शर्तें लगाकर रिचर्डनरको जायदाद दीगयी हो तो देना नाजायज़ होगा लेकिन अगर वह शर्तें ऐसी हों कि उस जायदाद के खुद वारिस होनेपर रिवर्जनरके साथ लगी रहतीं तो देना जायज़ होगा 30 Mad. 145. देनेके समय अगर ऐसा समझौता हुआ हो कि रिवर्जनर जायदाद लेकर उसका कुछ हिस्सा फिर उस विधवाको दान करदे जिससे विधवा के अधि कार उसमें अधिक हो जायँ तो यह देना नाजायज़ होगा 22 Cal. 354; 14 C. W. N. 226; 31 Mad 446; 31 Mad. 366. लेकिन अगर यह समझौता हो कि उस छोड़ी हुई जायदाद में से सिर्फ रोटी कपड़ा उस विधवाको मिलता रहे तो नाजायज़ नहीं होगा, देखो वही नज़ीर 31 Mad. 446. तथा यह भी माना गया है कि अगर ऐसा समझौता हो जाय कि छोड़ी हुई जायदाद में से कुछ हिस्सा किसी दूसरेको दे दिया जायगा तो भी नाजायज़ नहीं होगा ।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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