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________________ स्त्रियोंके अधिकार [ ग्यारहवां प्रकरण 33 Cal. 1079 बिना क़ानूनी ज़रूरत के कोई विधवा आदि उस जायदाद का भी इन्तक़ाल नहीं कर सकती जो उसे अपने भरण पोषण के लिये मिलीहो । एकके बाद दूसरे दत्तक के हक़में तमादी नहीं है- - एक हिन्दू विधवाने, जिसे कि अपने पति से जायदाद मिली थी, उस जायदादका एक भाग मुन्तकिल किया, और इसके पश्चात् एक लड़के को गोद लिया । वह लड़का नावालिग्री की सूरत में ही मर गया । अन्तमें उसने एक अन्य लड़के को गोद लिया और उसने उस इन्ककालको मन्सूख करने के लिये नालिशकी । नीचेकी अदा तने नालिशको तमादीकी बिनापर इस वजह से खारिज करदिया, कि दूसरा दत्तक, पहिलेका प्रतिनिधि है। हाईकोर्ट में तय हुआ कि दूसरा दत्तक पहिले दत्तकका उत्तराधिकारी न था और न उसका प्रतिनिधि था । चाहे विधवा ने प्रथम दत्तक के पूर्व ही जब कि वह उस जायदाद पर बहैसियत विधवा के अधिकार रखती थी, इन्तक़ाल किया हो और चाहे उसने, उसकी मृत्युके पश्चात्, जब कि वह, उस जायदाद को वारिसकी जायदाद की भांति क़ब्ज़े में रखती इन्तक़ाल कियाहो, किन्तु इनमें से किसी से दूसरे दत्तकके इन्तक़ाल के सम्बन्ध में नालिश करनेमें बाधा नहीं पड़ती, और नालिश तमादी नहीं हुई है। हनुमतसुबय्या बनाम कृष्णा 49 Bom. 604; 89I.C. 62; 27 Bom. L. R. 642; A. I. R. 1925 Bom. 402. ८५६ किसी हिन्दू विधवा ऐसे बाक़ी लगानकी जिम्मेदारी, जो किसी ऐसे पट्टेका बाक़ी लगान है जिसे कि उसने अपने फ़ायदेके लिये लिया है केवल उसी पर है वह उसकी अदाई के लिये खान्दानी जायदादका इन्तक़ाल नहीं कर सकती । ईश्वरीप्रसाद बनाम बाबूनन्दन शुक्ल 47 All. 563; L. R. 6 All. 291; 88 I. C. 193; A. I. R. 1925 Alll 495. दफा ७०५ ख़ानदानी कारोबार खानदान के पूर्वजों का कारवार जो विधवाको वरासत में मिलाहो उसके लिये भी विधवा जायदाद का इन्तकाल विधवाकी हैसियत से उन्हीं क़ैदों के साथ कर सकती है जो विधवा द्वारा जायदादका इन्तकाल किये जाने के लिये मुकर्रर हैं। ऐसे मामले में अगर कोई कहे कि विधवाने कारोबारके मेनेजरकी हैसियत से दूसरे फरीक़ों की मंजूरी बिना जायदाद के इन्तक़ालका अधिकार काममें लाई है, तब यह साबित करना होगा कि वह इन्तक़ाल कारोवारका क़र्ज़ चुकाने के लिये ज़रूरी था, और इस बातका वारसुबूत उस पक्ष पर होगा जिसने उस जायदादपर क़ज़ी दियाहो, देखो - श्यामसुन्दरलाल बनाम अचनकुंर 25 I . A. 183; 21 All. 71; 2 C. W. N. 729. विधवा पतिसे प्राप्त जायदादपर खान्दानी व्यवसाय के लिये तथा उस मकानकी पूर्ति के लिये, जो उसके पति द्वारा प्राप्त अपूर्ण छोड़ा गया है, पाबंदी
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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