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________________ दफा ६७५] रिवर्जनरोंके अधिकार लिखा गया हो, उस मामलेपर एतराज नहीं कर सकता-भल्लामुहीकाम शास्त्री बनाम थिरमामिही कन्नम्मा 1925 M. W.N. 495, 88 I. C. 7647 A. I. 1. ( 1925 ) Mad. 638; 48 M. 1. J. 284. इस्टापुलका नया मुकदमा-इस ग्रन्थके यहां तक छपने पर एक मशहुर मुकद्दमा प्रिवी कौन्सिलने इसी विषयका फैसल कर दिया है। बाक्रियात यह हैं:-'अ' और 'ब' दोनों भाई हैं हिन्दू खान्दान है। ''ने सन १९०८ ई० में एक दस्तावेज़ लिखी जिसका मतलब यह था कि उसने 'स' को गोद लिया है। 'म' सन १९१२ ई० में मर गया 'ब' सन १९१४ ई० में मर गया और उसने एक लड़की 'क' को छोड़ा । 'ब' के मरनेपर 'स' ने जायदादपर कब्ज़ा व दखल किया यह कहते हुये कि 'ब' के भाईने मुझे गोद लिया है। 'क' ने 'स' पर दावा किया कि करार दिया जाय कि 'ब' की जायदादकी वारिसबहे. सियत वारिसके मुहय्या है। 'सने यह एतराज़ किया कि मुझे 'भ' ने गोद लिया है और लेने देने की रसूम हो चुकी है और अगर मान मी लिया जाय कि देने लेनेकी रसूम नहीं हुयी तो 'ब' इस वजेहसे इस्टापड ( Estopped) है कि 'ब' ने अनेक काम और अमल ऐसे किये हैं। 'क' अपने बापके द्वारा दावा दायर करती है जो खुद अपने हक पानेसे रुका है। काम और अमल '' के यह बयान किये गये (१)'ब' गोदके लड़के 'स' को उसके गांवसेलाया और गोदनामापर अपनी गवाही की (२)गोदके लड़के 'स' को 'ब' ने इजाज़त दी कि वह 'अ' की क्रिया कर्म करे (३) जब गोदके लड़के 'स' का विवाह हुआ तो 'ब' ने उसे 'अ' का लड़का जैसा माना (गोदमें देना और लेना इसमें साबित नहीं हुआ था अगर ऐसा दत्तकहो भी तो वह कानूनन नहीं माना जा सकता) जुडीशल कमेटीने यह तय किया कि ऐसी दशामें इस्टापुलका सिद्धांत जो दफा ११५ कानून शहादतमें बताया गया है लागू नहीं होता। यह माना गया कि लड़की एंसा दावा कर सकती है उसके मुताबिलेमें इस्टापुल नहीं है, देखो-धनराज बनाम सोनीवाई 52 I. A. 231; 52 Cal. 4823; 87 I. C. 357. और देखो-मुल्ला हिन्दूलॉ 1926 P. 473. इस मुकदमे में इस्टापुलके बारे में प्रायः अनेक सिद्धान्त तय किये गये हैं हमने संक्षप से. ऊपर बता दिया है। दफा ६७५ कब्जा पानेकी नालिशकी मियाद ____यह साफ बात है कि सीमावद्ध स्त्री मालिकके मरने के बाद रिवर्जनर जायदादपर कब्ज़ा दिला पानेकी नालिश बारह वर्षतक करसकता है। अर्थात् अंगर उस स्त्रीके मरने के बाद जायदादपर ऐसे शख्शका कब्ज़ा होगया हो जो जायज़ वारिस नहीं है या उस स्त्रीके मरने के बाद जायदादका कोई इन्तकाल भी हो चुका है या उस जायदादपर कोई ऐसा आदमी काबिज़ है जिसका
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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