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________________ ८२२ रिवर्जनर [दसवां प्रकरण दफा ६७० सीमावह मालकको बेदखल करनेका हक़ · नाजायज़ इन्तकाल होनेकी वजहसे रिवर्ज़नरको साधारणतः यह हक़ नहीं है कि वह सीमावद्ध मालिकको जायदादसे बेदखल कर दे । लेकिन अगर सीमावद्ध मालिकने कोई ऐसा काम कियाहो, जिससे जायदाद हमेशा के लिये ज़ब्त हो सकती हो तो या इसी तरहपर और कोई बात पैदा हो सकतीहो, तो बेदखल करा सकता है, देखो-6 W.R. C. R. 222; किशनी बनाम ख्यालीराम 2 N. W. P. 424; 8 W. R. C. R. 155. झूठे दत्तक लेने के उद्योग से जायदाद ज़ब्त नहीं होती और न इस सबबसे अदालत रिसीवर मुक़र्रर कर सकती है--1 W.R. C. R. 256. . जब किसी सीमावद्ध मालिकने जायदादका ऐसा नुकसान किया हो, कि जिससे मालूम होताहो कि वह इन्तज़ाम करनेके नाक़ाबिल है, तो केवल ऐसी सूरतमें या इस सूरतमें कि जायदादको नुकसानसे बचाना ज़रूरीहै या जब कि वह स्त्री जायदादपर कब्ज़ा करनेसे इनकार करती ही, तो अदालत को अधिकार है कि रिवज़नरके दावा करनेपर उस जायदादके इन्तज़ाम के वास्ते कोई रिसीवर या मैनेजर नियत करे, देखो-आदिदेव नारायणसिंह बनाम दुखहरणसिंह All. 532; 24 W. R. CR. 86; 13 Mad. 390; अगर अदालत जायदादका फायदा देखे, तो रिवर्ज़नर को ही मैनेजर या रिसीवर नियत करदे, और उसे हुक्म दे कि वह जायदादकी कुल आमदनी विधवा या सीमावद्ध मालिक को बराबर देता रहे, देखो -महारानी बनाम नन्दलाल मिसिर 1 B. L. R. A. C. 27; 10 W. R.C. R.73; 17 W. R. C. R. 11; 5 All. 532. मुतौफी सासुके कब्जेकी जायदादपर विधवा बहूका १२ वर्षसे अधिक का कब्ज़ा था भावी वारिसों को उचित है कि वह प्रमाणित करें कि बहू को क़दामत के द्वारा केवल विधवा का अधिकार प्राप्त हुआहै- शेषर राव बनाम के० रामराजू सेशग्या-86 I. C. 296; A. I. R. 1925 Mad. 1066. जब विधवाने जायदादको अपने हाथसे निकल जाने दियाहो या क़ब्ज़ा करने में सफलतकी हो, तो भी ऐसा ही इन्तज़ाम किया जासकता है। दफा ६७१ रिवर्जनरके पीछेवाले रिवर्ज़नर पहिलेके रिवर्जनरने अगर सीमावद्ध मालिकके किये हुये किसी इन्तकालके विरुद्ध उस इन्तकालकी मंसूखीका दावा किया हो और उसको अदालत से डिकरी न मिलीहो तो उस रिवर्जनरके पीछे होने वाले रिवर्जनर फिर वैसा ही दावा करनेसे रोके नहीं जा सकते । आगे यह बात अदालत की मरज़ीपर है कि दावेको माने या न माने, देखो-22A 11.382;27 Mad.588; 29 Mad. 390.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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