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________________ हिन्दू उत्तराधिकार (संशोधक) ऐक्ट नं ० २ सन् १९२९ ई० भारतीय व्यवस्थापिका सभामें पास होकर ता० २१ फरवरी सन् १९२९ ई० को श्रीमान् गवर्नर जनरल महोदय द्वारा स्वीकृत | यह क़ानून उस हिन्दू पुरुषकी जायदाद के वारिसोंकी लाइन में परिवर्तन करने के लिये बनाया जाता है जो बिना वसीयत ( मृत्यु - पत्र) किये मर जाय । चूंकि यह अति आवश्यक प्रतीत होता है कि जब कोई हिन्दू पुरुष बिला वसीयत किये हुये मरजाय तो उसके पश्चात् उसके वारिस जिस तारीख से उसकी जायदाद के पानेके अधिकारी होते हैं उनकी लाइन में परिवर्तन किया जाय इसलिये नीचे लिखा हुआ क़ानून बनाया जाता है । - दफा १ नाम विस्तार और प्रयोग ( १ ) यह क़ानून “हिन्दू उत्तराधिकार" ( संशोधक ) ऐक्ट नम्वर २ सन् १९२९ ई० (Hindu Law of Inheritance (Amendmond) Act. II of 1929 ) कहलायेगा । ( २ ) यह क़ानून सारे ब्रिटिश भारत में जिसमें ब्रिटिश विलोचिस्तान और संथाल परगने भी शामिल हैं लागू होगा किन्तु यह क़ानून उन्हीं लोगों के सम्बन्धमें लागू होगा जिनके लिये इस क़ानून के पास होने से पहले उन बातोंके लिये मिताक्षराला लागू रहा होगा तथा उन लोगों में भी पुरुषोंकी उसी जायदाद के सम्बन्धमें लागू होगा जो शामिल शरीक परिवार ( मुश्तरका खानदान) की न हो और जो वसीयत द्वारा अलग न कर दी गई हो । - दफा २ कुछ वारिसोंके उत्तराधिकारका क्रम लड़के की लड़की, लड़की की लड़की, बहन तथा बहन का लड़का, क्रमानुसार दादा ( Father's father ) ( बाप का बाप ) के पीछे तथा चाचा
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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