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________________ उत्तराधिकार [ नवां प्रकरण I. A. 349, 364; 44 Mad. 753-767; 64 I. C. 402. # fara frat कौन्सिल के जजोंने श्रीगोपालचन्द्र शास्त्री और श्रीराजकुमार सर्वाधिकारीके हिन्दूलों पर विचार करके यह माना और कहा कि- 200 श्रीसर्वाधिकारी और मि० मेन, तथा श्रीभट्टाचार्य्यके हिन्दूलॉमें बन्धुओं के उत्तराधिकारका क्रम हर एक शाखा में अच्छा विचार किया गया है लेकिन frat कौन्सिसने कहा कि मामा (मांके बापका लड़का ) का स्थान जो उन्होंने निश्चित किया है उसे हम उचित और ठीक नहीं समझते । जहां पर कोई विशेष प्रमाण इस क्रमके काटनेका न हो तो मुत्थूसामी बनाम सिमामवेडू 16 Mad 23- 30. जो अपील में जुडीशल कमेटी द्वारा 19 Mad. 405 में स्वीकार किया गया है सुरक्षित लाइन बतायी है। 48 I.4.349. में प्रिवी कौन्सिलने बन्धुओं को वरासतमें जायदाद मिलनेका क्रम नीचे लिखे अनुसार माना है: ( आत्म बन्धु ) — ( १ ) लड़केकी लड़कीका लड़का - बम्बई में बहनकी लड़की से पहले हक़दार होता है 46 Bom. 541. (२) लड़के के लड़केकी लड़कीका लड़का (३) बहनका लड़का - 6 Mad H. C. 278; 9All. 467; 20 All. 191. सौतेली बहनका लड़का बन्धु है 15 Mad. 300. किन्तु सौतेली बहन, का सौतेला लड़का बन्धु नहीं माना जायगा 45 Mad. 257. माकी बहनके लड़के से पहले, बहनका लड़का जायदाद पावेगा 22 W. R. 264. (४) भाईकी लड़कीका लड़का 10 Beng. L. R. 341. (५) भाई के लड़के की लड़की का लड़का (६) बापकी बहनका लड़का 37 Cal. 214; 51 I. A. 368; 49Bom.739. (७) बापके बापके लड़के की लड़कीका लड़का 60 I. C. 101. (८) बापके बापके लड़केके लड़के की लड़की का लड़का ) माका बाप - नाना 15 Mad. 421. ( १० ) मांके बापका लड़का ( माका भाई यानी मामा ) नं० २१ के बन्धुसे पहले वारिस माना गया है 48 I. A. 349; 44 Mad. 753; 64 I. C. 402. ( ११ ) माके बापके लड़केका लड़का -- यह नं० १३ के बन्धुसे पहले वारिस मान गया है 38 All. 416 34 1. C. 108, 33 Mad, 439. ( १२ ) माके बापके लड़के के लड़केका लड़का (१३) माके बापकी लड़कीका लड़का (१४) मा बाप के लड़के की लड़की का लड़का
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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