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________________ दफा ६३८] बन्धुओंमें वरासतं मिलनका क्रम में माना है। मि० जान डी. मेनने अपने हिन्दूलों के सातवां एडीशन पेज ६८२-६६६ तकमें बन्धुओंकी व्याख्या की है। गम्भीर विचार करनेके बाद भट्टाचार्यके मतके विरुद्ध नहीं जाते। और भी देखिये मुटु सामी बनाम मुटूकुमारासामी 16 Mad 23 में माना गया कि मिताक्षरामें जो बन्धुओं की लिस्ट दी है अपूर्ण है लेकिन बन्धुओंकी जो लिस्ट उक्त दोनों (डाक्टर जोगेन्द्रनाथ भट्टाचार्य और पं० राजकुमार सर्वाधिकारी) लेखकाने दी है वह बहुत कुछ माननीय और पूर्ण है। यही बात 23 I. A. 83, 19 Mad. 4057 में मानी गयी । उक्त भट्टाचार्य और सर्वाधिकारीके मतानुसार बन्धुओंके उत्तरा धिकार पानेका क्रम इस प्रकार है । इस क्रमके साथ ६३६ दफाके नक्रशोको देखो। बन्धुओंका क्रम नीचे १२३ तक बताया गया है । (आत्म बन्धु) ( परिवारकी लड़कियों के लड़के) (१) लड़केकी लड़कीका लड़का 46 Bom. 641. में, बापकी लड़कीकी लड़की से पहले माना है। (२) लड़के लड़केकी लड़कीका लड़का ) बहनका लड़का 20 Ail. 1913:9 All. 48714 M. 1. A. 187; 10 B. L R. ( P.C.)7, 6 Mad. H. C.2783 (सौतेली बहनका पुत्र वारिस होने का हक रखता है देखो 15 Mad. 300; 2 M.L.J. 835 बहनका प्रपौत्र बन्धु नहीं होता, देखो-2 Bom. L. R. 8423) अब यह पहले वारिस होगा देखो ऐक्ट मं० २ सन १९२६ ई. इस प्रकरणके अन्तमें। दायभाग- बङ्गाल प्रणालीके अनुसार बहिनके पुत्रको सौतेले भाई मुकाबिले तरजीह दी जाती है-सुखमयी विश्वास बनाम मनोरञ्जन चौधरी 89 I. C. 827. (४) भाईकी लड़कीका लड़का 10 B. L. R. 341; 18 W.R. C. R. 331, . (५) भाईके लड़केकी लड़कीका लड़का (६) बापके बापकी लड़कीका लड़का 37 Cal. 214, 14 C. W. N. 443. बम्बई प्रान्तमें व्यवहार मयूखके आधीन वरासतके सम्बन्धमें पिता की बहिनके पुत्रको बमुकाबिले मामाके तरजीह दी जाती है-सखाराम नारायन बनाम बालकृष्ण सदाशिव 49 Bom. 739; 27 Bom. L. B. 1003, A. I. R. 1925 Bom..451 ( F. B.) (७) बापके बापके लड़केकी लड़कीका लड़का 1 Lah. 588, 60 I. C. 101; (८) बापके बापके पोतेकी लड़कीका लड़का
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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