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________________ उत्तराधिकार [नवां प्रकरण दफा ६२८ सपिण्डोंकी वरासतका तीसरा सिद्धान्त तीसरा सिद्धांत मि० हेरिंगटन् साहेयके अनुसार है। यह सिद्धान्त रटचिपुटीदत्त बनाम राजेन्द्र ( 1839 ) 2 M. I.A. 133, 149, 161. के मुक्तइमेमें माना गया था कि हर एक लाइन छठवीं पीढ़ी तक विला किसी रोक टोकके चली जायगी। मगर इस मुकदमे में मिस्टर हेरिङ्गटन साहेबकी तजवीज़से यह नहीं मालूम होता कि प्रपौत्रके पुत्र, पौत्र, प्रपौत्रका स्थान उत्तराधिकारमें कहां है। इतना ज़रूर मालूम होता है कि बापकी छठवीं पीढ़ीवाला यानी बापके प्रपौत्रका प्रपौत्र, दादी और पितामहसे पहिले वारिस होता है। अगर ऐसी बात है तो मृत पुरुषकी छठवीं पीढ़ी तककोभी उससे पहिले जायदाद मिलना चाहिये, यानी उसके प्रपौत्रके पुत्र, पौत्र, प्रपौत्रको इन सबका हक्क दादीले पहिले होना चाहिये। मि० हेरिङ्गटन साहेबके सिद्धान्तानुसार वरासतका क्रम यह होगा। (१) मृत पुरुषकी नीचेकी शास्त्रामें पहिली तीन पीढ़ी यानी, उसके पुत्र, पौत्र, प्रपौत्र। (२) विधवा, लड़की, लड़कीका लड़का। (३) मा, बाप, और उसकी छ:'-''पीढ़ी। (४) मृत पुरुषकी नीचेकी लाइनमें पिछली तीन पीढ़ी। (५) बापकी मा, पितामह, और उसकी छः०-पीढ़ी। (६) पितामहकी मा, पितामहका बाप, और उस की छः पीढ़ी। (७) प्रपितामहकी मा, प्रपितामहका बाप, और उसकी छपीढ़ी। (८) प्रपितामहके बोपकी मा, प्रपितामहका पितामह, और उसकी छः पीढ़ी। (१) प्रपितामहके पितामहकी मा,प्रपितामहकाप्रपितामह, और उसकी छः पीढ़ी। देखो--घेस्ट और बुहलर साहेबका हिन्दूला तीसरा एडीशन पेज १२४, १२५. मि० हेरिङ्गटन साहेबके सिद्धान्तके अनुसार बापकी नीचेकी छठवी पीढीको पहिले उत्तराधिकारमें जायदाद मिलती है। यह बात इलाहाबाद हाईकोर्टने पूर्णतया स्वीकार नहीं की और जहां तक मालूम होता है किसी हाईकोर्टमें यह राय अब स्वीकार नहीं की जाती।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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