SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 826
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ~ दफा ६२४] सपिण्डोंमें वरासत मिलनका क्रम mmmmmmim (१३) प्रपितामहके बापकी शाखामें पिछली तीन पीढ़ी यानी उनके प्रपौत्रके पुत्रं, प्रपौत्रके पौत्र, प्रपौत्रके प्रपौत्र । ... . . (१४) प्रपितामहके प्रपितामहकी शाखामें पिछली तीन पीढ़ी यानी उनके प्रपौत्रके पुत्र, प्रपौत्रके पौत्र प्रपौत्रके प्रपौत्र। (१५) प्रपितामहके प्रपितामहकी शाखामें पिछली तीन पीढ़ी यानी . उनके प्रपौत्रके पुत्र, प्रपौत्रपौत्र, प्रपौत्रपौत्र । नोट-ऊपरके क्रमसे ५७ सपिण्डोंमें पहले के न होनेपर दूसरेको सम्पत्ति मिलेगी। दफा ६२४ पहिले सिद्धान्तका नक्शा वरासत किस क्रमसे मिलती है इस बारेमें दफा ५६ और ६२३ पहले पढ़ लीजिये, पीछे नीचेके क्रमको विचारो। प्रोफेसर सर्वाधिकारी, डाक्टर जोगेन्द्रनाथ भट्टाचार्य, डाक्टर जाली, और मिस्टर मेन साहेबके सिद्धांतानुसार सपिण्डोंके दौका नक़शा नीचे देखो। इस नक्रोमें जिस क्रमसे नम्बर दिये गये हैं उसी क्रमसे उत्तराधिकारकी जायदाद पानेके लिये वारिस होते हैं । प्रिवी कौन्सिलने बुधासिंह बनाम ललतूसिंह 42 I. A. 208-224, 37 All. 604; 30 I.C. 529. में आम सिद्धान्त यही माना है। और देखो पुल्ला हिन्दूलॉ १९२६ पेज ४५. बुधासिंह बनाम ललतूसिंह 42 I. A. 208; 37 All. 604, 30 I. C. 529. वाले मामलेमें प्रिवी कौन्सिलने कहा कि इस मुकदमेके पक्षकार मिताक्षरा स्कूलके अन्तर्गत बनारस स्कूलके हैं और झगड़ा है दरमियान चाचाके पोते और बापके चाचाके लड़केके। यानी इस दफाके नक्शे के नम्बर १६ और नं०२० के दरमियान । डाक्टर सर्वाधिकारीके मतानुसार बमुकाबिले नं०२० यानी बापके चाचाके लड़केके, नं०१६ चाचाके लड़केके लड़केको तरजीह है यानी उसका हक पहले माना जायगा। नशेमें जो नम्बर दिये गये हैं वे उत्तराधिकारमें जायदाद पानेका क्रम बतानेके लिये दिये गये है। नम्बर १, २, ३, में जो कोष्ठ लगाया गया है वह इस मतलबसे है कि वे तीनों इकट्ठे जायदाद पाते हैं अर्थात् पौत्र जिसका पिता मर चुका है और प्रपौत्र जिसका पिता और पितामह मर चुका है मृत पुरुषकी जायदाद तीनों इकट्ठ (पुत्र, पौत्र, प्रपौत्र,) लेते हैं। इस नक्शेके नम्बरों पर ध्यान रखना, नम्बरके क्रमसे मृत पुरुषका उत्तराधिकारी निश्चित कीजिये। 94
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy