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________________ उत्तराधिकार नवां प्रकरण परदादाके न होनेपर, दादाका भाई, और उसके भी न होनेपर उसके लड़के यानी 'दादाके भतीजे' जायदाद पावेंगे। इनका हक़ वैसाही होगा जैसा 'दादा भाईकी वरासत' का है। ऊपर देखो । ર दफा ६२१ दादा के भाई के पोते की वरासत (पितामहके भाई का पौत्र) ( १ ) जैसाकि ऊपर दफा ६११, ६१६ में कहा गया है उसीके अनुसार दादा के भाई के पोते की जगह यह है । यानी वह, लड़के, पोते, परपोते, विधवा लड़की, नेवासा, माता, पिता, भाई, भाई के लड़के, भाईकेपोते, दादी, दादा, लड़केकी लड़की लड़की की लड़की, बहन, बहनका लड़का, चाचा, चाचाके लड़के, चाचा के पोते, परदादी, परदादा, दादाके भाई, धौरदादा के भतीजे के न होनेपर जायदाद पाता है । मिताक्षरा में साफ नहीं कहा गया मगर जो सिद्धान्त ऊपर दफा ६११; ६१६ में माना गया है उसके अनुसार दादाके भाईका पोता मृत पुरुष के परपोतेके लड़केसे पहिले वारिस होता है । देखो नक़शा दफा ६२४; यानी नं० २१ दादा के भाईके पोतेका स्थान है और नं० २२ परपोते के लड़केका । (२) दादा के भाईके पोते अपना सब हक़ वैसाही रखते हैं जैसा कि ऊपर दफा ६१६ में कहा गया है । (३) वारिसों की लिस्ट जो मिताक्षरामें दी गयी है इस जगहसे यानी मं० २१ ( देखो नक्शा दफा ६२४ ) से समाप्त हो जाती है । इन वारिसोंके बारेमें तो साफ साफ कहा गया है परन्तु भाईके पोते, चाचा के पोते, और दादा भाईके पोते के विषयमें कुछ नहीं कहा गया। आगे के वारिसोंके बारेमें मिताक्षराकार विज्ञानेश्वर जी ने यह बचन दिया है 'एव मासतमात्समान गोत्राणां सपिण्डानांधनग्रहणं वेदितव्यम्' इसी तरहसे समान गोत्रमें सात दर्जे ऊपर सपिण्ड धन पानेके अधिकारी हैं। यानी जितने सपिण्ड वाक्क़ी रह गये वह सब इसी क्रमसे जायदाद पावेंगे। देखो दफा ६२४. दफा ६२२ दूसरे सपिण्ड वारिस ऊपर बताये हुए वारिसों के सिवाय जो सपिण्ड वाक़ी रह गये वह नीचे के क़ायदेके अनुसार वारिस होते हैं ( १ ) नज़दीकी सपिण्डका हक़ दूर के सपिण्ड से पहिले होता है । ( २ ) भिन्न शाखाओंके रिश्तेदारोंमें भी सौतेले से सहोदर पहिले जायदाद पाते हैं मगर बम्बई प्रांत में यह क़ायदा आम नहीं माना गया । वहांपर यह माना गया है कि - मिताक्षरा और मयूख दोनों केसों में सहोदरको सौतेले से प्रधानता देने का क़ायदा भाई और भाईके लड़कों के लिये ही महदूद हैं और
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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