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________________ લ उत्तराधिकार [ नवां प्रकरण सहित, उत्तराधिकारसे प्राप्त होती है- केसरलाल बनाम जग्गू भाई 49Bom. 282; 27 Bom. L. R. 226; A. I. R. 1625 Bom. 406. दफा ६१० भाईके लड़के की वरासत ( १ ) लड़के, पोते, परपोते, विधवा, लड़की, लड़कीका लड़का, माता पिता, और भाइयों के न होनेपर भाईके लड़केको उत्तराधिकारमें जायदाद मिलती है । जैसाकि क्रम मिताक्षराके अनुसार ऊपर भाईकी वरासत में बताया गया है पहिले 'सगे' को और उसके न होनेपर 'सौतेले' को जायदाद मिलती है उसी क्रमसे भाईके लड़कों को भी हक़ प्राप्त होता है; देखो- (२) सगे भाईके लड़के पहिले जायदाद पानेके अधिकारी हैं। उनके न होनेपर सौतेले भाई जायदाद पावेंगे । (३) भाईके लड़के जायदादको सब बराबर हिस्से में लेते हैं। जैसेमृत पुरुषके जय और विजय दो भाई थे। जयके एक लड़का और विजयके तीन लडके मौजूद हैं और जय, विजय मर चुके हैं तो मृत पुरुषकी जायदाद चार बराबर हिस्सों में बांटी जायगी और हर एक भाईका लड़का एक एक हिस्सा पावेगा । अर्थात् भाइयोंके लड़के आयदाद व्यक्तिगत लेते हैं । अङ्ग 'रेजी में इसे 'परकेपिटा' कहते हैं। देखो दफा ५५८. (४) भाईके लड़कों का हक़ जायदादमें पूरा होता है (देखो दफा ५६४) - (५) जहां पर मयूखकी प्रधानता मानी जाती है ( दफा २३ देखो ). उन केसों में सौतेले भाईके लड़केका हक़, बापके भाईके पीछे माना गया है. ( देखो मुल्ला हिन्दूलॉ का पेज ३६ ) और - चण्डिका बनाम मुन्नाकुंवर 24All 273; 29 I. A. 70. दफा ६११ भाई के पोते की वरासत ( १ ) यह निश्चित है कि भाईके पोते की यानी भाईके लड़केके लड़के की वरासत, पुत्र, पौत्र, प्रपौत्र, विधवा, लड़की, नेवासा, माता, पिता, भाईऔर भाईके लड़के के बाद होती है। मगर इसमें संशय है कि उसकी जगह कौनसी है । मिताक्षरामें भाईके लड़केका लड़का साफ़ शब्दोंमें नहीं कहा गया; इसीलिये अर्थ की खींच तान पड़ गयी । देखो दफा ६२५. (२) मिताक्षरा में कहा गया कि 'भ्रातृणामप्यभावे तत्पुत्राः ' और आगे चलकर यह कहा गया है कि - 'भ्रातृपुत्राणामप्यभावे गोत्रजा धनभाजः'
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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