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________________ दफा ६०६ ] सपिण्डों में वरासत मिलनेका क्रम पुत्र (पुत्र, पौत्र, प्रपौत्र न होनेपर ) पुरुषका धन उसके पुत्र, पौत्र आदि सम्तान न होनेपर दौहित्रको मिलेगा । मनुजी कहते हैं ह दौहित्रोह्यखिलं रिक्थमपुत्रस्य पितुर्हरेत् एव दद्यात् दो पिण्डौ पित्रे माता महायच । ६-१३२ जिसके पुत्र, पौत्र, प्रपौत्र नहीं हैं ऐसे बापका सब धन उसकी लड़की का लड़का लेवे वही अपने पिता और नानाको दो पिण्ड दे। नतीजा यह है कि पहिले पुत्रिका पुत्रका रवाज था ( देखो ८२-३३ ८३ ) और उस वक्त वह पुत्र, पौत्र, प्रपौत्रके पश्चात्ही धन पानेका अधिकारी हो जाता था। यही बात अब तक चली आती है । उत्तराधिकार में दौहित्रका दर्जा पहिलेकी रीतिके अनुसार रखा गया है मगर अब वह नानाका लड़का नहीं कहलाता बल्कि अपने बापका लड़का कहलाता है । देखो दफा ६२४ का नक़शा । ( २ ) क़ानूनमें लड़कीका लड़का कब वारिस होगा ? - जब तक संब लड़कियां जो वारिस होनेके लायक हैं और जायदाद पानेका हक़ रखती हैं: मर न जायें, तब तक लड़कीका लड़का नानाकी जायदाद पानेका अधिकारी. नहीं होगा, देखो -- बैजनाथ बनाम महाबीर 1 All. 608. शान्तकुमार बनाम देवसरन 8 All 365 लड़कीका लड़का असलमें तो 'बन्धु' यानी भिन्न गोत्रज सपिंड है। क्योंकि उसका रिश्ता मृत पुरुषसे एक स्त्रीके द्वारा है। लेकिन वह गोत्रज सपिंडों के साथ जायदाद पाता है। कारण यह है कि हिन्दू धर्म शास्त्रों में ऐसा माना गया है, देखो - श्रीनिवास बनाम डंडायू डापानी 12 Mad 411. (३) लड़कीका लड़का मा का वारिस बनकर नानाकी जायदाद नहीं लेता - हिन्दूलॉ में उत्तराधिकारके विषयमें लड़कीके लड़केका खास स्थान रखा गया है, यद्यपि वह भिन्न गोत्रज सपिण्ड यानी बन्धु है परन्तु वह मृत पुरुष के बाप और अन्य सपिंडोंसे पहिले जायदाद पानेका अधिकारी माना गया है । कारण यह है कि प्राचीन रीति यह थी कि जिस हिन्दूके लड़का नहीं होता था वह अपनी लडकीको शौनक के बचनानुसार कन्यादान करके उससे पैदा हुये पुत्रको अपना पुत्र बना लेता था शौनकका वचन यह है- भ्रातृकां प्रदास्यामि तुभ्यं कन्यामलंकृताम् यस्यां यो जायते पुत्रो समे पुत्रो भवेदिति । इस बचनके अनुसार प्राचीन रीति थी ( देखो दफा ८२-३ ८३ ) इस तरहके लड़केको 'पुत्रिकापुत्र' कहते हैं । इस लड़केके दर्जेको याज्ञवल्क्य 92 2
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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