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________________ Re उत्तराधिकार [ नवां प्रकरण तय हुआ कि मुद्दाअलेह अपने मुतवफ़ी पिताकी पूरी जायदादकी मिताक्षरा के अनुसार वारिस हैं-- मनकी कुंवर बनाम कुन्दन कुंवर 23 A. L, J. 183; 47 All. 403; 87 I. C. 121; A. I. R. 1225 All. 378. स्कूल पुत्रियका अधिकार - बम्बई प्रान्तमें, हिन्दूलॉके अधीन पुत्रियां अपने पिताकी जायदादकी वारिस उसके पूर्ण अधिकार पर होती हैं और यदि कोई हिस्सेदार नहो तो वे क़ब्ज़ा मुश्तरका हासिल करती नहीं है, क़ब्ज़ा बिल जमाल नहीं-- किसन तुकाराम बनाम बापू तुकाराम 27 Bom. L. R. 670; 89 I. C. 196 (1); A. I. R. 1925 Bom. 424. पुत्रियोंके मध्य जायदादकी तक़सीमका इक़रारनामा -- ए, तीन पुत्रियाँ छोड़कर मरा । उन्होंने उसकी जायदादकी तक़सीमके लिये ज़बानी मुश्राहिदा कर लिया। एक पुत्री अपना हिस्सा अपने सौतेले पुत्र के क़ब्ज़ेमें छोड़कर मर गई। प्रश्न यह था कि आया उन बहिनोंके मध्यका इक़रारनामा उनके मध्य जीवित रहने के अधिकारको रद्द करता था ? नीचेकी अदालतने तय किया कि जीवित रहने का अधिकार तब नष्ट होगया था । दूसरी अपीलमें तय हुआ कि वाक्य 'पूर्ण अधिकार' अर्थात् बिक्री द्वारा इन्तक़ालका अधिकार आदिका अर्थ यह है कि प्रत्येक बहिन पूरे कब्जे से जायदाद ले, और यहकि किसी बहनकी मृत्युके पश्चात् उसका हिस्सा उसके धारिसको मिलेगा, न कि उसकी जीवित वहनको-- लक्ष्मम्मा बनाम सुभारागुदू 85 I. C. 788; A. I. R. 1925 Mad. 343, दफा ६०६ लड़कीके लड़के की वरासत (नेवासा - दोहिता- दौहित्र) कब हक़ होता है ? -- (१) लड़के, पोते, परपोते, विधवा, और लड़कियोंके न होने पर दौहित्र यानी लड़कीके लड़केको उत्तराधिकार में जायदाद मिलेगी । याज्ञवल्क्यने साफ़ तौरसे दौहित्रको नहीं कहा- 'पत्नी दुहितरचैव पितरौ भातरस्तथा' २ – १३५. इस श्लोक में दुहितरःके आगे 'च' का अक्षर है; इस अक्षरसे मिताक्षराकार विज्ञानेश्वर ऐसा अर्थ निकालते हैं कि- 'च' शब्दात् दुहितृभावे दोहित्राः धनभाक् । 'च' के कहने से मतलब यह है कि लड़कीके न होने पर लड़कीका लड़का धन पानेका अधिकारी होगा । विष्णु भी यही कहते हैं 'पुत्र पौत्र संताने दौहित्र धन माप्नुयुः,
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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