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________________ दफा ६०३ ] afrosta बरासत मिलनेका क्रम ( ६ ) अनौरस और औरस पुत्रोंमें सरवाइवरशिप - यह ध्यान रखना कि औरस पुत्र और अनौरस पुत्र अपने बापकी जायदादको मुश्तरका और सरवाइवरशिपके हक़ ( देखो दफा ५५८ ) के साथ ठीक उसी तरहसे लेते हैं . जिस तरह कि औरस पुत्र लेते हैं । इसलिये अगर एक शूद एक औरस पुत्र, और एक अनौरस पुत्रको छोड़कर मर जाय और उसके पीछे औरस पुत्र भी विना बटवारा किये मर जाय तो औरस पुत्रकी जायदादका हिस्सा अनौरस पुत्र को मिलेगा; देखो 7-18 Cal. 151; 17 1. A. 128. Mana ७०३ ( 9 ) अनौरस पुत्रका हक़ उसकी औरस औलादको मिलता है-शूद्र कौम बापकी जायदादमें अनौरस पुत्रका हक़ कोई जाती हक़ नहीं माना गया वह हक़ उस अनौरस पुत्रके मरनेपर उसकी औरस औलादको मिलेगा । ऐसा मानों कि जैसे - देवीदास एक शूद्र है और उसके कालीदास एक औरस पुत्र और चरनदास एक अनौरस पुत्र है। चरनदास अपने बापसे पहिले सेवाद स नामक एक औरस पुत्रको छोड़ कर मर गया । पीछे देबीदास मरा तो अब सेवादासको सिर्फ उतनाही हिस्सा मिलेगा जितना कि उसके बाप चरनदासके ज़िन्दा होनेपर उसको मिलता । इसी तरहपर अगर सेवाराम भी एक औरस पुत्रको छोड़ कर वापसे पहिले या पीछे और देबीदासके पहिले मर गया होता तो चरनदासके पौत्रको उतनाही हिस्सा मिलता जितना कि उसके पितामहका था । अगर अनौरस पुत्र कोई अनौरस पुत्र छोड़ कर बापकी जिन्दगी में मर जाय तो अभी तक यह निश्चित नहीं है कि उसको हिस्सा मिलेगा या नहीं । जैसे अगर चरणदास एक अनौरस पुत्र छोड़ कर बापकी जिन्दगी में मरजाता तो उस पुत्रको हिस्सा मिलेगा या नहीं मिलेगा अभी तक निश्चित नहीं है: देखो - - रामलिङ्ग बनाम पवादाई 25 Mad 519. इस विषयमें धर्मशास्त्रकारोंके वचनोंसे प्रतीत होता है कि अनौरस पुत्रके अनौरस पुत्रको शूद्रोंमें भी भाग नहीं मिलेगा । एवं उसके पोते और परपोते से भी समझना चाहिये । (८) अनौरस पुत्रको उत्तराधिकार नहीं मिलता-- अनौरस पुत्र सिर्फ अपने बापकी जायदाद में हिस्सा पाता है वह अपने भाई बन्दोंकी जायदादकां उत्तराधिकारी कभी नहीं हो सकता अर्थात् बापके सिवाय उसे किसी भी अन्य रिश्तेदारका उत्तराधिकार प्राप्त नहीं हो सकता; देखो स्वामी - शङ्कर बनाम राजेश्वर 21 All. 99. उदाहरण - एक शूद्र अपने एक औरस पुत्र कालीदास और एक अनौरस पुत्र चरनदास को छोड़ कर मर गया वह दोनों बापकी जायदाद शामिल शरीक और सरवाइवर शिपके इक ( दफा ५५८ ); के साथ लेंगे, अगर दोनों आपसमें बढ़वारा करालें तो कालीदासके मरनेपर उसकी जायदाद उसके
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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