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________________ ७०८ उत्तराधिकार [नवां प्रकरण और आधी गैर कानूनी पुत्रको मिली। इस कल्पनाका सही तरीका यह है कि दत्तक पुत्रको उसी हैसियतमें समझा जाय, जिस हैसियतमें कि कुदरती पुत्र होता है, फिर यह फ़र्ज किया जाय कि गैर कानूनी पुत्र कानूनी पुत्र है और यह समझ कर कि वे कानूनी पुत्रोंके साथ रह सकते हैं यह देखा नाय कि उनको उस अवस्थामें कौनसा हिस्सा मिलेगा, और उसका आधा और कानूनी पुत्रको दिया जाय - महाराजा कोल्हापुर बनाम एस सुन्दरम् अय्यर 48 Mad. 1; A. I. R. 1925 Mad. 497. अपनीही जातिकी नीची श्रेणी की स्त्रीके साथ शादी करना जायज़ है और किसी ऐसे जातीय रवाजके न होनेपर, जो उसे नाजायज़ करार दे, शादी करने वाले आदमीकी सन्तानको खानदानी जायदादके उत्तराधिकारसे नहीं रोकतीं - हरप्रसाद बनाम केवल 47 All. 169; L. R. 6 A.7 (Civ) 83 I. C. 1637 A. I. R. 1925 All. 26. वेश्याके पुत्रोंका उत्तराधिकार-एक वेश्याके दो पुत्र थे। एक पुत्रके प्रपौत्रने दूसरे पुत्रके प्रपौत्रके पुत्रकी जायदाद, प्राप्त करनेके लिये नालिश किया-तय हुआ कि हिन्दूलॉ के सबसे नज़दीकी सम्बन्धीका नियम लागू होता है और मुद्दईका दावा ठीक है। चूकि वेश्या हिन्दू थी और उसकी सन्तान हिन्दू धर्मको मानती थी और हिन्दू रस्म रवाजको धारण किये हुये थी अतएव उसकी सन्तानके लिये हिन्दूलॉ की ही पाबन्दी होगी, वेश्याके लड़कोंके पिताकी चाहे कोई भी जाति क्यों न हों, जब तक कि कोई जायज़ थौर लाज़िमी रवाज इसके खिलाफ न हो-विश्वनाथ मुदली बनाम डोरै स्वामी मुदली 48 Mad. 944; ( 1925 ) M. W. N. 613 A. I.R. 1926 Mad. 1; 49 M. L. J. 684. उदाहरण बजरङ्गादास शूद्र कौम है, उसके पास तीन लाख रुपया है और वह शिवलाल एक औरस पुत्र तथा बिहारी एक अनौरस पुत्रको छोड़ कर मर गया। अब देखिये मदरास हाईकोर्ट के अनुसार तो दो तिहाई शिकलाल और एक तिहाई बिहारी पायेगा यानी दो लाख रुपया शिवलाल और एक लाख बिहारी पायेगा। मगर मिस्टर मेनसाहेब और सरकार हिन्दूलॉके अनुसार ऐसा हिस्सा नहीं होगा। उनके अनुसार शिवलाल औरस पुत्र तीन हिस्सा पायेगा और बिहारी एक हिस्सा अर्थात् सवा दो लाख रु०शिवलालको और पच्छत्तर हजार बिहारीको मिलेंगे। यह अाखिरी हिस्सा इस सिद्धान्तपर किया गया है कि अगर बिहारी औरस पुत्र होता तो दोनोंको डेढ़ डेढ़ लाख रु० मिलता। मगर वह अनौरस पुत्र है इसलिये जितना उसे औरस होनेकी सूरतमें मिलता उसका आधा हिस्सा अनौरस होनेपर मिलेगा यानी डेड लाखका आधा पच्छत्तर हज़ार रुपया। ...
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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