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________________ গুনাথিকাৰ [नर्वा प्रकरण कोई फरक इस जगहपर नहीं पड़ता। यहांपर सिर्फ यह विचार किया जायगा: कि जो पुत्र बापसे अलहदा हो गये हैं वह वापकी खुद कमाई हुई जायदादके पानेके हकदार नहीं हैं। अगर किसी बापने अपने लड़केको या लड़कोंको अलहदा करदिया हो और पैतृक सम्पत्ति यानी मौरूसी जायदादका हिस्सा न दिया हो और बाप दूसरे लड़कोंके साथ रहने की हालतमें मरगया हो तो मौरूसी जायदादमें अलहदा किये हुये लड़के अपना हिस्सा बटा सकते हैं, क्योंकि उनका हिस्सा बापकी ज़िन्दगीमें था और उस वक्त भी वह अगर चाहते तो बटा लेते मगर बापकी खुद कमाई हुई जायदादके वह वारिस नहीं होंगे । बक्लि उस जायदादके वह लड़के वारिस होंगे जो बापके साथ मुश्तरका रहते थे। . विधवाके पुत्र-इस ग्रन्थकी दफा ६३ के अनुसार जब किसीने विधवा से विवाह सवर्णमें किया हो और उससे भी लड़के पैदा होगये हों तथा उस पुरुषके पहिली स्त्री आदिसे भी लड़के हों तो अब चूंकि विधवा विवाह कानूनन् जायज़ मान लिया गया है इसलिये ऐसा समझा जायगा कि विधवा के पुत्र भी वही हक़ रखते हैं जो उस पुरुषकी पहली स्त्रीसे उत्पन्न पुत्र हक़ रखते हैं अर्थात् दोनों तरहके पुत्रोंको समान हक्क प्राप्त होगा देखो इस ग्रन्थ के पेज १२५ से १२८ तक। (५) अनौरस पुत्र-हिन्दुस्थानके सब हाईकोर्टाके अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्योंमें अनौरस पुत्र (जो असली लड़का नहो) का उत्तराधिकार बापकी जायदादमें कुछ नहीं है। वह सिर्फ अपने बापकी जायदादमें रोटी, कपड़ा पानेका अधिकारी है; देखो-रोशन सिंह बनाम बलवन्तसिंह 22 All. 191, 27. I. A. 51. चोट्रया बनाम साहब पुरहूलाल 7 M. I. A. 18, दफा ४०३, ५१०, ५३२ भी देखो। ___ अनौरस पुत्र-वह पुत्र कहलाता है जो विवाहिता स्त्रीसे न पैदा हो । कलकत्ता हाईकोर्ट के अनुसार चाहे मुकद्दमा मिताक्षरालॉका हो या दायभागलॉका हो, शुद्र कौमका अनौरस पुत्र भी वापकी जायदादमें कुछ हक़ नहीं रखता। उसे बापकी वरासत नहीं मिलती वह सिर्फ अपने बापकी जायदादमें रोटी कपड़ा पानेका अधिकारी है। बम्बई मदरास और इलाहाबाद हाईकोर्ट के अनुसार शूद्र कौमका अनौरसपुत्र अपने बापकी वरासतके हिस्सेका हकदार है, बशर्ते कि उसकी मा केवल उसके बापहीके पास रहती हो और व्यभिचारसे वह पुत्र पैदा न हुआ हो। ऐसा होने पर वह अनौरस पुत्र उत्तराधिकारके पूरे अधिकार नहीं रखता । यह पूरी तौरसे माना गया है कि जहांपर कोई बाप औरस पुत्र और अनौरस पुत्रको छोड़ कर मर जाय तो अनौरस पुत्रको, औरस पुत्रसे आधा हिस्सा मिलेगा, और जहांपर औरस पुत्र न हो लेकिन विधवा, लड़की या
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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