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________________ दफा ६०३ ] सपिण्डोमें वरासत मिलनेका क्रम छोड़ी हुई जायदादको 'परस्ट्रिरिपस' लेते हैं यानी व्यक्तिगत नहीं लेते। इन दोनों शब्दोंके लिये देखो दफा ५५८ ७०५ (३) बटवारा होने के बाद जब लड़का पैदा हो - अगर बाप और लड़कोंके बीच में बटवारा हो जाय और उसके बाद बापके एक लड़का पैदा होजाय तो वह लड़का अपने बापकी वह सब जायदाद पायेगा जो बापको बटवारे में मिली है । और इस जायदादके सिवाय वह लड़का अपने बापकी उस सब जायदादका भी अकेला मालिक होगा जो बापकी अलहदा और कोई जायदाद हो, या उसके बापने बटवारा होनेके बाद जो जायदाद कमाई हो । अर्थात् बटवारा हो जाने के बाद जब लड़का पैदा होजाय तो वहीं बापकी सब जायदादका मालिक होता है क्योंकि बापकी ज़िन्दगी में लड़का जब अलहदा हों आता है तो पीछे बापकी जायदादका वारिस नहीं माना जाता; देखो - नवलसिंह बनाम भगवानसिंह 4 All 427. और देखो दफा ५०८. उदाहरण -- गणेशके दो लड़के जय और विजय हैं। यह तीनों शामिल शरीक रहते हैं। जय और विजय अपने बाप गणेशसे अलहदा होगये । उसके बाद गणेश के एक लड़का तीसरा 'महेश' पैदा हुआ वह लड़का और बाप शामिल रहने लगे अब गणेश मरा तो उसकी सब जायदाद महेशको अकेले मिलेगी। जय और विजयको नहीं मिलेगी । चाहे बापके पास मरते समय अलहदा, या खुद कमाई हुई या मुश्तरका हिस्सावाली जायदाद हो । ( ४ ) शामिल शरीक और बठे हुये लड़के - जहांपर कि एक बाप और दो माताओंके लड़के होते हैं तो अक्सर यह होता है कि पहिली औरत के लड़के बापसे बटवारा करके अलहदा हो जाते हैं। और बाप दूसरी स्त्री और उसके लड़कोंके साथ रहता है ऐसी हालतमें अगर बाप खुद कमाई हुई जायदाद छोड़कर मरे तो उसकी दूसरी स्त्रीके लड़के और उनकी औलाद उसकी सब जायदाद पाने के अधिकारी होंगे और जो लड़के पहिले बटवारा कर चुके हैं वह और उनकी औलाद नहीं पायेगी, चाहे वह जायदाद बापको बटवारा करनेके पहिले या पीछे प्राप्त हुई हो । अर्थात् बटे हुये लड़कोंका हक़ बापकी खुद कमाई हुई जायदादपर कुछ नहीं है, देखो - नाना बनाम रामचन्द्र 32 Mad. 377; 2 Mad. 182-185. उदाहरण – शङ्करके राम और भीम दो लड़के हैं। तीनों मुश्तरका रहते हैं। रामने शङ्कर से बटवारा कर लिया और मुश्तरका जायदादमेंका अपना हिस्सा अलहदा करके उसपर क़ाबिज़ हो गया । शङ्कर मरा और उसने राम, और भीमको छोड़ा अब भीम जो बापके साथ शामिल रहता था वही अकेला शङ्करकी खुद कमाई हुई जायदाद, और उस जायदादका जो बापके पास मुश्तरका हिस्सा बचा था सबका मालिक होगा, रामको नहीं मिलेगी क्योंकि पहिले वह बापकी जिन्दगी में अलहदा हो चुका था। दो शादी होने की वजहसे 89
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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