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________________ ७०० उत्तराधिकार [नयों प्रकरण दफा ६०२ औरतोंकी कानुनी ज़रूरतें हर एक औरत (दफा ६४३) जिसे जायदादमें पूरा हक़ प्राप्त नहीं है, मगर उसे वह महदूद हकके साथ सिर्फ जिन्दगी भरके लिये मिली है, उस जायदादको नीचे लिखी हुई कानूनी ज़रूरतोंके लिये इन्तकाल कर सकती है यानी गिरवी रख सकती है बेच सकती है शोर दान या बस्नशीशमें भी दे सकती है। कानूनी ज़रूरतें वह हैं कि जिनके होनेपर जायदादका इन्तकाल हो सकता है। और ऐसे इन्तकाल का रिवर्जनर वारिस ( देखो दफा ५५८) पाबन्द होगा। १-धार्मिक कृत्योंके लिये (१) अन्त्येष्ठि कर्म, यानी मरनेके पश्चात् क्रिया कर्म और दूसरे कर्मों के खर्चके लिये भी देखोदलेल कुंवर बनाम अम्बिका प्रसाद 23 All. 226. जैसे लड़केकी जायदाद मा की क्रिया कर्म करनेके लिये काममें लाई जा सकती है--वृजभूषणदास बनाम पार्वतीबाई 9 Bom. L_R. 1187. (२) गयाक्षेत्रमें श्राद्ध करनेका खर्च तथा उसके सफरका खर्च, और. पंढरपुरमें श्राद्ध करनेका खर्च तथा उसके सफरका खर्च । मगर यह सब खर्च उस औरतके खानदानकी हैसियत और उसकी स्थितिके अनुसार तथा जायदादके अनुसार होना चाहिये । ऐसा न होनेपर वह इन्तकाल ठीक नहीं माना जायगा। मिस्टर मांडलीक कहते हैं कि अनेक हिन्दूलॉके ग्रन्थकारोंने काशी (बनारस) की यात्राका खर्च कानूनी ज़रूरतोंमें नहीं बताया, मगर यह उनकी गलती है। मांडलीकका कहना है कि काशी यात्रा करना प्रत्येक हिन्दूका मुख्य धार्मिक कर्तव्य कर्म है; इस लिये इस यात्राका खर्च भी कानूनी ज़रूरत मानना चाहिये । देखो--मत्स्य पुराण, अग्नि पुराण, मदन पारिजातका तीर्थ प्रत्याम्नाय प्रकरण, काशीं खण्ड और नारायण भट्टका त्रिस्थली सेतु । अगर कोई औरत गया श्राद्ध करके बिरादरी या ब्राह्मण भोजन कराने के लिये जायदादका इन्तकाल करे तो वह कानूनी ज़रूरत नहीं है, देखो-मखन बनाम गायन 30 All. 255. (३) उन लोगोंके धार्मिक कृत्योंका खर्च, जिनके करनेके लिये आखिरी मालिक पाबन्द था। जैसे माकी अन्त्येष्ठि क्रिया और श्राद्ध देखो--- श्रीमोहनझा बनाम बृजबिहारी मिश्र 36 Cal. 753; बृजभूषणदास बनाम पार्वतीबाई 7 Bom L. R. 1187.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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