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________________ दफा ५८७ ] मौका उत्तराधिकार ६८७ बा, स२२ बा, स२१ सकुल्यका नकशानं. १६ तक सपिण्ड हैं और नं १७ से ३१ तक सकुल्य दिखलाये गये हैं। बा, स२० बा४ बा३ ल१४ ल१५ मालिक? ल८ ल१६ ल१३ . ल,स२९ ल१० ल, स३० ल,स२३ ल, स२७ ल, स३१ ल, स२४ ल, स२८ 2-11-11 ल, स१८ बाप हैं। ल, स२५ ल, स१६ (१) बा, से मतलब है वाप । मालिकसे ऊपर शाखामे सब एक दूसरेके (२) ल, से मतलब है लड़का, मालिकका लड़का ल ५, और सब एक दूसरेके लड़का हैं। (३) बा, स-और ल, स । मालिकके सकुल्य हैं और उनका मालिक भी सकुल्य है। (४) नम्बर १ से १६ तक सपिण्ड और न०१७ से ३१ तक सकुल्य हैं। (५) ल, स, नं०१७ से लेकर ल, स, नं०३१ तक हर एकके तीन तीन पुश्त आगे फैलाकर सब सकुल्य हैं। क्योंकि सकुल्यका लड़का, पोता परपोता भी सकुल्य है इसलिये कि उनका बाप स्वयं सकुल्य है। (६) यह निश्चित नहीं कि सकुल्यका फैलाव इतनाही होता है या - इससे अधिक।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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