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________________ दफा ५६७-५६८] साधारण नियम ६७१ संपत्तिके एकदम वारिस होजाते हैं जो पैतृक संपत्ति अलहदा और बिला किसीकी शिरकतके कमाई गयी हो। सिवाय ऐसी सूरतके और जगहपर ऐसा हक़ एकदम प्राप्त नहीं होता; देखो-मारूदाजी बनाम दुराइसानी 30 Mad 348. प्रथम उदाहरण ब्रह्मदेव गणेश महेश+ रमेश+ सुरेश+ शम्भू विजय+ अमृत+ राम अज . +यह निशान मरेहुयेका है कृष्ण ब्रह्मदेव एक हिन्दू है। उसके एक बेटा 'गणेश' और एक पोता 'शंभ और परपोता 'अज' और एक परपोतेका बेटा 'कृष्ण' है । महेश, रमेश बिजय सुरेश, अमृत, और राम मरचुके हैं उसके बाद ब्रह्मदेव मरा तो जायदादकी तकसीम कैसे होगी? अगरब्रह्मदेवके वारिस जायदाद तकसीम कराना चाहें तो हो सकती है। अब देखिये ब्रह्मदेवकी जायदाद तीन वराबर हिस्सोंमें तक़सीम होगी। गणेश, शंभू , और अज तीनों एकएक हिस्सा लेंगे। गणेश अकेला सब जायदाद नहीं ले सकता, शंभू अपने बाप महेशका हिस्सा लेगा, अज अपने दादा रमेशका हिस्सा लेगा, मगर कृष्णको कुछ भी हिस्सा नहीं मिलेगा, क्योंकि कृष्ण दोनों तरफसे मिलाकर ब्रह्मदेवसे चौथी पीढ़ीके गहर निकल जाता है। स्थानापन्न होकर हिस्सा बटानेका अधिकार चौथी पीढ़ीके बाहर वालेको नहीं है। . दूसरा उदाहरण- ब्रह्मदेव गणेश महेश रमेश शम्भू शिव विजय +यह निशान मरेहुयेका है अज अमृत मुकुंद ब्रह्मदेव एक हिन्दू मर गया। उसने एक बेटा गणेश, दो पोते शंभू और शिव और तीन परपोते अज, अमृत मुकुन्दको छोड़ा।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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