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________________ दफा ५५६-५५७ ] न बट सकने वाली जायदाद और कोपार्सनर । अ, के जीते झ, कोपार्सनर न था, अ, मरा तब झ, कोपार्सनर हो सकता था अगर उसका बाप, दादा या परदादा जिन्दा होता। वह सूरत भी इस उदाहरणमें नहीं है इसलिये जायदाद ख, को मिलेगी। दफा ५५७ 'प्राइमोजेनिचर' का नियम ___ अगर कोई खास नियम या रवाज बाधक न हो तो, न बट सकनेवाली जायदादका उत्तराधिकार 'प्राइमोजेनिचर'के नियमके अनुसार होता है अर्थात् एकही दर्जेके लोगोंमें ज्येष्ठ ही उत्तराधिकारी सब जायदादका होता है। देखो श्वरीसिंह बनाम बल्देवसिंह 11 I. A. 135-145: 10 Cal. 792-805: भवानी गुलाम बनाम देवराज कुंवारी (1883)5All.542817Mad. 316-325. कुछ खान्दानों में 'प्राइमोजेनिचर' का नियम नहीं बलि और दूसरी वजेह ज्येष्ठके चुने जानेकी होती है-11 I. A. 51; 29 I. A. 62, 29Cal. 343; 4 B. L. R. 472. अवध-अवधके ताल्लुक्नेदारोंके विषयमें देखो--देवीबशसिंह बनाम चन्द्रभानसिंह (1910) 37 I. A. 168; 32 All. 599,14 C. W. N. 1010 12 Bom. L. R. 1015. अवधके रईसों ( ताल्लुक्केदारों) में प्रायः यह रवाज अब भी जारी है यदि इसके विरुद्ध साबित हो जाय तो दूसरी बात है। __ खूनकी नज़दीकी-मिताक्षरालॉ के अनुसार एकही दर्जेके लोगोंमें खून के लिहाज़से नज़दीकी रिश्तेदार होनेकी वजेहसेही कोई पुरुष उत्तराधिकारी नहीं होता जैसे सगे छोटे भाईके होते सौतेला बड़ा भाई चुना जायगा 11 Mad 316. बङ्गाल स्कूलमें माना गया है कि पिछले मालिकके निकटस्थ कुटुम्बियोंमें जो सबसे ज्येष्ठ होगा वही वारिस होगा अर्थात् ज्येष्ठ सौतेले भाईके होते भी सगा छोटा भाई वारिस होगा बङ्गालकी नज़ीर देखो-3B.LR.(P. C.) 13; 12 W. R. (P. C.) 217 17 Mad. 316. ज्येष्ठ पुत्र-अगर किसी खानदानमें यह रवाज न हो कि पुत्र अपनी माताओंके छोटे बड़े होनेके लिहाज़से वारिस हों तो उस खानदानमें पिछले मालिककी किसी स्त्रीसे भी जन्मा ज्येष्ठ पुत्र वारिस होगा, देखो-रामासामी कामाया नायक बनाम सुन्दरा लिंगासामी 17 Mad. 422, 26 I. A. 55%; 22 Mad. 515; 28 I. A. 100; 23 All. 369; 5 C. W. N. 602; 12 B, L. R. 396. माना गया है कि यदि कोई रवाज खास न हो तो माकी जात पांतका कुछ असर इस सिद्धान्तमें नहीं पड़ता ( परन्तु पुत्र जायज़ होना चाहिये)2 W. R. C. R. 232; और देखो मेन हिन्दूलॉ7 ed. की दफा 541 P. 733. में कहा गया है कि "प्रिवी कौन्सिलने एक प्रश्न यह फैसला करनेसे छोड़ दिया कि अनुचित कुटुम्ब और जातिकी स्त्रियोंसे पैदा हुये पुत्रोंमें कौन वारिस
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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