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________________ दफा ५२२ ] हिस्सों के निश्चित करनेका क़ायदा इसके पश्चात् ग, मरा। तब उसके पुत्र गरे, ने घ१, पर अपने बापका हिस्सा मिलनेकी नालिशकी जो हिस्सा उसके बापका मुश्तरका खानदानी जायदाद में था । ग३, का हिस्सा उसके बापके मरनेके समय जायदादमें है था और बापका था । बापके मरनेपर उसका हिस्सा है उसके पुत्र ग३ को पहुंचा इसलिये अब गरे अपने हिस्से का और अपने बापके हिस्से है का दोनों का हक़दार होगया यानी उसका हिस्सा अब होगया और घ१, का पहिले का हिस्सा जैसा था वैसा बना रहा यानी । । देखो - मंजनाथ बनाम नारायण 5 Mad. 362. ६२७ दफा ५२२ क्या बाप कमती ज्यादा बटवारा कर सकता है ? मिताक्षराके अनुसार बापको अधिकार है कि अपनी पैदा की हुई जायदाद जिसे चाहे दे दे कोई दूसरा उजुर नहीं कर सकता, देखो - दफा ४१८ से ४२४. इस विषय में मि० मेन अपने हिन्दूलॉ 7 ed. P. 665 में कहते हैं कि "बापके पास जो जायदाद चाहे वह उसकी खुदकी कमाई हो और चाहे ऐसी कोई दूसरी जायदाद हो जिसमें पुत्रोंका हक़ उनकी पैदाइशसे नहीं पैदा होता। दोनों क़िस्मकी जायदाद मिताक्षरा और बङ्गाल स्कूलके अनुसार बाप को अधिकार है कि जिसे चाहे दे दे । यही बात बटवारेके मामलेमें लागू होगी यानी उसे ऐसा अधिकार है कि जिस पुत्रको चाहे कम और जिसको चाहे ज्यादा हिस्सा दे आपसमें एक दूसरेके इक़रार जायज़ माने जावेंगे जिनमें कमती ज्यादा हिस्सा दिया गया हो, अगर बाप ऐसा करना नहीं चाहे तो वह इनामके तौरपर भी किसी पुत्रको या दूसरेको जायदाद दे सकता है।" इस तरहका कम और ज्यादा बटवारा कुछ खास सूरतोंके सिवाय बाक़ी सब जगह पर बर्जित किया है, देखो - कोलब्रुक डायजिस्ट Vol. II P. 540-541. मेकनाटन हिन्दूलॉ Vol. II P. 147. स्मृति चन्द्रिका २ - १. मिताक्षराके अनुसार मौरूसी जायदादका बटवारा विना मरज़ी लड़कों के जब पिता करे तो हिन्दूलॉ के अनुसार पिता ऐसा कर सकता है और वह बटवारा पुत्रों को पाबंद करेगा देखो -2 Mad. 317. मगर दूसरे किसी कोपा नरको बिना मरज़ी उसके वह बटवारेके लिये मजबूर नहीं कर सकतादेखो वेस्ट एण्ड बुहलर हिन्दूलॉ P. 666. अगर बापने अपनी इच्छासे बटवारेमें बेटोंको कुछ कम ज्यादा हिस्सा दिया हो तो ऐसा समझा जा सकता है कि वह घरेलू प्रबन्ध है और किसी हद तक लड़के उसके पाबन्द हो सकते हैं, देखो - बीजराज बनाम शिवदीन 35 All 337. इस विषय में नारद कहते हैं कि
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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