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________________ ६१४ बटवारा [आठवां प्रकरण अगर ब्राह्मणी से कोई पुत्र नहीं है सिर्फ क्षत्रियासे १ वैश्या से १ और शुद्रा से १ पुत्र है तो जायदाद ६ भागों में बट कर ३ भाग क्षत्रिया के पुत्र को २ भाग वैश्याके पुत्रको एवं १ भाग शूद्राके पुत्रको मिलेगी। इसी तरहपर यदि केवल वैश्यासे १ पुत्र है व शूद्रासे १ है तो जायदाद ३ भागोंमें बटकर २ भाग वैश्याके पुत्रको व १ भाग शुद्राके पुत्र को मिलेगी। यदि सिर्फ शूद्रा का ही पुत्र है तो सब उसे मिलेगी। यह बटबारा अनुलोमज विवाहके पुत्रों के परस्पर है स्त्रियोंका हक इसमें शामिल नहीं है। वर्गानुसार स्त्रियोंका हक इस बटवारेसे सम्बन्ध नहीं रखता। दफा ५११ गैर हाज़िर कोपार्सनर गैर हाज़िर कोपार्सनर के हनपर बटवारेका क्या असर पड़ता है इस विषयमें सर तामस स्ट्रेन्जने अपने हिन्दूलॉ के Vol.1 P. 206-207. में कहा है कि इस विषयमें विदेशमें गये हुये गैर हाजिर कोपार्सनरकी भी वही हालत है जो नाबालिगकी है। वटवारेके समय उसकी भी रजामन्दी नहीं ली जा सकती इसलिये बटवारा उसकी गैरहाज़िरीमें होगा। जैसे कानून किसी नाबालिगके बालिग होने तक उसके हिस्सेकी रक्षा करता है उसी तरह उस गैरहाज़िर कोपार्सनरके लौटने तक उसके हिस्सेकी रक्षा करता है। 'विदेश' का मतलब उन स्थानोंसे है जहांपर जल्दखबर नहीं पहुंचसकतीजैसे पहाड़पर जाना, किसी बड़े जङ्गलमें जाना आदि, देखो-कोलबुककी डाईजेस्ट ii Vol.P. 29. दफा ५१२ हिस्सेका ख़रीदार बटवारा करा सकता है जब किसी कोपार्सनरका हिस्सा कुीके नीलाममें किसी गैर आदमीने खरीदा हो तो खरीदारको अधिकार है कि वह उस हिस्सेका बटवारा कराले, या कोपार्सनरने खुद मुन्तकिल कर दिया हो (जहांपर ऐसा इन्तकाल जायज़ माना गया हो) तो खरीदारको बटवारेका वही अधिकार है जो कोपार्सनर को था । खरीदार उस हिस्सेके अलग करानेका अधिकारी है जिसे उसने खरीदा था, देखो-विपिनबिहारी बनाम लालमोहन चट्टोपाध्याय 12 Cal. 209; 9 Cal. 580; 12 C. L. R. 215; 7 Mad. 588; 11 Bom. H. C. 727 22 W. R. C. R. 1169 20 W. R. C. R. 1703 18 W.R. C. R.23. ___ अगर खरीदारने कोपार्सनरोंके रहने वाले घरका हिस्सा खरीद किया हो तो वह हिस्सा दूसरे कोपार्सनरोंके हाथ उसको अवश्य बेच देना होगा, इस बातके लिये खरीदार वाध्य किया जायगा, देखो -Act.4of 1893 दफा४. यदि किसी कोपार्सनरने मुश्तरका जायदादमें का अपना हिस्सा किसी दूसरे श्रादमीके नाम दान कर दिया हो तो मिताक्षरालॉ जहां तक लागू होता है वहांपर ऐसा दान नाजायज़ समझा जायगा इसलिये दान लेने वाला बट. चारा नहीं करा सकता, देखो-बाबा बनाम टिम्मा 7 Mad. 357.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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