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________________ दफा ५०६-५१०] बटवारेके साधारण नियम यह बात साफ़ तौरसे निश्चित नहीं हुई कि औरस भाइयों के साथ अनौरस पुत्रका बटवारे में कितना हिस्सा मिलेगा, मगर जो कुछ तय हुआ है उसके लिये देखो-इस कितावकी दफा ६०३. - अनुलोमज और औरस पुत्रोंके बीच बटवारा-अनुलोमज विवाह शास्त्रकारोंने स्वीकार किये हैं, देखो दफा ६३ यहां पर यह बताना है कि अनुलोमज विवाहके पुत्रों और औरस पुत्रोंके बीच जायदादका बटवारा कैसा होगा। मनु अध्याय ६ श्लोक १५३ में कहते हैं: - चतुरोंऽशान्हरेदिप्र स्त्रीनंशान्क्षत्रियासुतः वैश्या पुत्रो हरे दयंश मंशंशूद्रासुतोहरेत् ॥१५३॥ यद्यपि स्यात्तु सत्पुत्रोऽप्यसत्पुत्रोऽपिवाभवेत् नाधिकं दशमाद्दद्याच्छूद्रा पुत्राय धर्मतः॥१५४॥ वृहद्विष्णु स्मृति अध्याय १५१ ब्राह्मणस्यचतुर्पु वर्णेषुचेत् तुत्राः भवेयुस्ते पैतृक मृक्थं दशधा विभजेयुः ॥ १॥ तत्र ब्राह्मणी पुत्रश्चतुरोंऽशाना दद्यात् ॥ २॥ क्षत्रिया पुत्रस्त्रीन् ॥३॥ दावंशौ वैश्या पुत्रः॥ ४ ॥ शूद्रापुत्रस्त्वेकम् ॥ ५ ॥ भावार्थ-४ भाग ब्राह्मर्णाका पुत्र, ३ भाग क्षत्रियाका पुत्र, २भाग वैश्या का पुत्र और १ भाग शूद्राका पुत्र लेवे । अगर ब्राह्मणी, क्षत्रिया, और वैश्या स्त्रीसे कोई पुत्र न हो और शूद्राके पुत्र हो तो भी शूद्राके पुत्रको १०वें भागसे ज्यादा हिस्सा नहीं मिलेगा । वृहद्विष्णुने भी इसी मतका पूर्ण रूपसे समर्थन किया है और बहुत विस्तृत व्याख्या की है। उदाहरण-महेश ब्राह्मणकी ब्राह्मण स्त्रीसे २ लड़के और क्षत्रिय स्त्री से एक लड़का और वैश्य स्त्रीसे २ लड़के तथा शूद्रा स्त्रीसे २ लड़के पैदा हुये तो इनके परस्पर जायदादका बटवारा कैसा होगा? ऊपरके सिद्धांतानुसार महेशकी जायदाद १७ भागों में बटेगी इसमें से भाग ब्राह्मणीके दोनों लड़कों को और ३ भाग क्षत्रियाके एक लड़केको और ४ भाग वैश्याके दोनों लड़कों को तथा २ भाग शूद्राके दोनों लड़कोंको मिलेगी। सिद्धान्त यह है कि ब्राह्मणी के पुत्रको जितना हिस्सा मिले उसका पौन हिस्सा क्षत्रियाके पुत्रको तथा आधा वैश्याके पुत्रको और चौथाई शूद्राके पुत्रको मिलेगा।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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