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________________ दफा ५०८] बटवारेके साधारण नियम बिना बटवारा किये पुत्र, पिताकी जायदाद नहीं पा सकता, बटवारेके बाद जन्मे पुत्रको पिताकी सब जायदाद मिलती है। उसमें बटे हुये पुत्रोंका हक नहीं है। बटवारेसे मिली हुई जायदाद और अपनी सब सम्पत्तिको यदि बापने खर्च कर दिया हो, उसने अपने पुत्रके लिये कुछ न छोड़ा हो जो बटवारेके बाद पैदा हुआ है तो ऐसी सूरतमें उसे कुछ नहीं मिलेगा, देखो-शिवाजी राव बनाम बसंतराव 33 Bom. 267. अगर बाप, बटवारा होने के बाद कुछ लड़कोंसे तो अलग और कुछ लड़कोंके साथ मुश्तरका रहता हो पीछे कोई पुत्र पैदा होवे तो वे सब पुत्र जिनके साथ बाप रहता था बराबर हिस्सेसे जायदाद बांट लेंगे। यदि बापने बटवारेके समय अपना हिस्सा नहीं लिया और बिना हिस्सा लिये सब लड़कोंसे अलहदा होगया उसके बाद पुत्र पैदा हुआ तो वह मुश्तरका जायदादका फिरसे बटवारा करायेगा और अपना हिस्सा वह सिर्फ उसी जायदादमें नहीं बटायेगा जो पहिलेके बटवारेके समय थी बल्कि वह उस कुल जायदादमें भी अपना हिस्सा बटायेगा जो उस जायदादकी मददसे दूसरी और कोई जायदाद पैदा कीगई हो, देखो--20 Mad.75; W. Mac Hindu Law Vol 1 P. 47. अगर पिताके मरनेपर भाइयोंमें बटवारा हुआ हो और पीछे माके गर्भ से कोई लड़का पैदा हो जाय अथवा यदि कोई भाई अपनी स्त्रीको गर्भवती छोड़कर मर गया हो और बटवारेके पीछे उसके लड़का पैदा हो जाय तोदोनों सूरतोंमें फिरसे बटवारा होगा और जन्मे हुये लड़कोंको हिस्सा मिलेगा-- देखो हिन्दूलॉ मुल्लाका सन १६२६ ई० पेज ३१८. याज्ञवल्क्य ने कहा है कि-- 'दृश्यादा तद्विभागःस्या दायव्ययविशोधितात्' दायभागे _ऐसी सूरतमें बटवारेके समय जो जायदाद हो और पीछे जो उसकी मददसे पैदा कीगयी दोनों में उन्हें हिस्सा मिलेगा। इसीलिये मिताक्षराकार कहते हैं कि जब ऐसा मौक़ा उपस्थित हो तब बटवारा करने वालोंको चाहिये कि गर्भके प्रसवका इन्तज़ार करके बटवारा करें, देखो-- 'अथ भातृणां दायविभागो यश्वानपत्याः स्त्रियस्तासाम पुत्रलाभात् गृहीतगर्भणामाप्रसवात्प्रतीक्षण मितियोजनीयम् मिताक्षरा।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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