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________________ ६०८ बटवारा [आठवां प्रकरण अगर यह सूरतें कोई न हों जैसीकि ऊपर कही गयी हैं तो नाबालिग की तरफ़से बटवारेका दावा नहीं किया जा सकता, देखो--34 I. A. 1073 31 Bom. 373. अगर बटवारेका दावा करनेके बाद बाप मर जाय तो नाबालिग पुत्रकी ओरसे उस दावेको आगे चलानेमें भी यही ऊपरका सिद्धान्त लागू होगा, देखो--पार्बती बनाम मुंजकरंथ 5 Mad. H. C. 193. लेकिन अगर उस दावाको आगे नहीं चलानेसे जायदादमें नाबालिगके हनपर कोई बुरा असर न पड़ता हो तो दावा आगे नहीं चलाया जायगा। साधारणतः हिन्दू मुश्तरका खान्दानके नाबालिगका लाभ इसीमें है कि उसका हिस्सा अलग न किया जाय इससे यह स्पष्ट है कि बटवारेमें नाबालिराका लाभ नहीं है क्योंकि जायदादके मुश्तरका बने रहनेसे ही उसकी ज्यादा आमदनी होती है और इस तरह अधिक लाभ होता है बटवारा कर देनेपर आमदनी घटनेसे अवश्य हानि है इसके सिवाय नाबालिराके लिये मिताक्षराके अनुसार एक यह हानि भी है कि बटवारेके बाद न बालिग सरघाइवरशिपका लाभ खो देता है, देखो--कामाक्षी अम्मल बनाम चिदम्बरा. रेडी 3 Mad. H. C. Rep 94. नाबालिगकी तरफसे बटवारा कराने की जो खास शर्ते ऊपर बयान की गयी हैं उनके मौजूद होनेसे नाबालिगके वलीको यह अधिकार है कि वह बटवारा करे 36 1. A. 71; 31 All. 412, 13 C. W. N. 983; 11 Bom. L. R. 978. जगन्नाथ बनाम मानूलाल 16 All. 231. के मामले में माना गया है कि वली पञ्चायतसे भी नाबालिगकी तरफसे बटवारा करा सकता है। जबकि पञ्चायत से या समझौते से या कलक्टर साहेब की आज्ञा से वटवारा हो गया हो तो नाबालिरा भी उसका पाबन्द है और उस प्राज्ञाके अनुसार वह बटवारा करा सकता है मगर शर्त यह है कि उस बटवारेका नाबालिरापर कोई बुरा असर न पड़ता हो और वह बटवारा उचित हो और और बटवारेके समय नाबालिराका कोई प्रतिनिधि मौजूदहो और वह प्रतिनिधि भी ऐसा हो जो नेकनीयतीसे नाबालिग्न के लाभ के लिये ही काम करता हो । नीचे नज़ीरें देखो-जब पञ्चायतसे बटवारा हुआ हो-रामनारायण प्रमानिक बनाम श्रीमती दासी 1 W. R. C. R. 281; जब समझौतेसे-10 W. R. C. R. 273; 8 B. L. R. 363; जब कलक्टर साहेबकी आज्ञासे-हरीप्रसाद झा बनाम मदनमोहन ठाकुर 8 B. L. R. Ap. 72, 17 W.R. C. R. 217; 29 All. 37; नाबालिराका कोई प्रतिनिधि बटवारेके समय होना चाहियेलालबहादुरसिंह बनाम शिशुपालसिंह 14 All. 498 कृष्णाबाई बनाम खगौड़ा 18 Bom. 197;प्रतिनिधि अज्ञानका ही लाभ देखे-कालीशङ्करं बमाम देवेदोनाथ 23W.R.C.R.68,19Bom. 59372Mad.H. C. 182729 Mad. 62.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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