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________________ ५६७ दफा ५०२ ] बापके क़ानूनी क़ज़ै (२) मुश्तरका खान्दानके लोगोंकी शादीके लिये जो छोटे हों, और बाप जो कर्जा अपने पुत्रोंके विवाहोंके लिये उचित लेवे मगर शर्त यह है कि मुश्तरका जायदादकी आमदनी विवाहके खर्च के लिये काफ़ी न हो, देखो-(1910) M. W. N. 649; 8 Indian Cases 195; 9 M. L T. 26; 20 M. L. J. 855; 9 Bom. L. R. 1366; 32 B. 81; 6 Indian Cases 465; 32 All. 575; 15 N. C. C. R. 159; 7 M. L. T. 384; 27 Mad. 206. (३) बेटियों की शादी के लिये बापका क़र्जा चाहे बाप ब्राह्मण हो या दूसरे किसी भी वर्णका हो क़ानूनी क़र्जा माना गया है; देखो --8 Indian Cases 854; 32 T. L. R. 74; 1 C. 289; 25 W. R. 235; 3 I. A. 72; 16 W. R. 52; 7 Beng. Sel. R. 513; 14 Mad. 316; 26 M. 505. 8 M. L. J. 105 में कहा गया कि हिन्दू बापपर अपनी बेटियोंकी शादी करना क़ानूनी फ़र्ज नहीं है बल्कि सभ्यताका है और इसी तरह से ब्याही हुई बेटियों की परवरिश करना भी है। एक मामलेमें माताने अपनी बेटीका विवाह कर दिया पीछे उसके बापपर विवाहके खर्चा पानेका दावा किया अदालतने कहा कि बापपर धार्मिक फ़र्ज है कि वह बेटीका विवाह करे मगर क़ानूनी नहीं है, देखो - 26 Mad. 505. यही बात मदरासके हालके एक मुकद्दमे में मानी गयी, देखो -8 Indian Cases 854. भाई-भाईपर क़ानूनी फ़र्ज है कि वह अपने शामिल शरीक मृत भाई की बेटीका विवाह करे । यदि वह इनकार करदे और बेटीकी विधवा माता किसी तरहसे उसका विवाह करदे पीछे वह विधवा माता अपने पति के भाई पर उस विवाह के खर्च पानेका दावा कर सकती है जो कुछ कि उसकी बेटी के विवाहमें पड़ा हो, देखो -23 vad. 512; 16 W. R. 52; 6 C. 36; 6 C. L. R. 429. खान्दानकी इज्ज़तको बचाये रखनेके लिये जो क़र्ज हो वह ऐसा है मानो विवाहके खर्च के लिये लिया गया है, देखो -- No. 63 of 1886 Civil ( ५ ) जो क़र्जा खान्दानके लाभके लिये लेकर किसी व्यापार में लगाया गया हो या व्यापार करनेके लिये लिया गया हो; देखो - No. 67 of 1873 Civil. (६) किसी शराबी या नशेबाज़का क़र्जा जबकि वह नशेकी हालत में न हो और शान्त बुद्धि हो तथा उसने व्यापारके लिये या रक्षा करनेके लिये लिया हो देखो -- No. 44 of 1872 Civil. (७) हिन्दू जिमीदारका क़र्जा, जो व्यापारमें लगानेके लिये लिया गया हो, देखो - No. 77 of 1876 Civil; No. 53 of 1869 Civil; No. 11 of.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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