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________________ दफा ४८४ ] पुत्र और पौत्रकी जिम्मेदारी यह माना कि सब जायदाद चली गई जिसपर कि छत्रपति इन्तक़ालका हन रखता था प्रिवी कौन्सिलमें खूब बहस होकर यह तय हुआ कि मुश्तरका हिन्दू खान्दानके बापपर जो डिकरी हो और उसमें बापका हक़, स्वत्व, तथा अधिकार नीलाम हो जाय तो यही समझा जायगा कि केवल बापकाही हिस्सा जो मौरूसी जायदाद में था जाता रहा दूसरेका नहीं, देखो - श्रीपतिसिंह दुगार बनाम महाराजा, सर पी०के० टगोर (1916) P. C. 19. Bom. L. R. 290. और देखो दफा ४८८. ५८१ पिता के खिलाफ डिकरी - महाजनको अधिकार है कि उस डिकरीकी तामीलमें, जो हिन्दू पिता द्वारा लिया गया हो तमाम संयुक्त खान्दानकी जायदादको मय पुत्रों के अधिकारके नीलाम कराले-दे सोडजा बनाम वामन राव 27 Bom. L. R.1451. स्त्री वारिस - परिमित अधिकारीकी स्वीकृति भावी वारिसोंके खिलाफ मियादसे बढ़ नहीं सकती - लक्ष्मी बनाम वेङ्कटराव 82 IO. 1052; A. I. R. 1925 Nag. 207. क़र्ज पिता द्वारा - जबकि किसी हिन्दू पिता के खिलाफ किसी रक्कमकी fडकरी प्राप्त हुई हो और उसकी तामीलमें खान्दानी जायदाद नीलास कीगई हो, पुत्र उसे केवल गैर तहजीबी साबित करनेके बाद ही मंसूत्र करा सकते हैं, रञ्जीतसिंह बनाम रम्मनसिंह 87 I. C. 654; A. I. R. 1925 All. 781. क़र्ज पिता द्वारा - पुत्रोंकी जिम्मेदारी - पार्थसारथी अप्पाराव बनाम सुब्बाराम 84 I. C. 276; A. I. R. 1924 Mad 840. दफा ४८४ रुपयेकी डिकरी सिर्फ रुपयाके क़र्जेके बारेमें जो डिकरी बापपर हो उसके द्वारा बापकी जिन्दगी में सबकोपार्सनरी जायदाद नीलामकी जा सकती है, देखो - हरीराम बनाम विश्वनाथसिंह 22 All. 408. यह मामला रेहनके क़र्जेका था जिसमें दावेकी रक़म अनिश्चित थी; 16 I A. 1; 12 Mad. 142; 20 Cal. 328; 9 Cal. 389; 12 Cal L. R. 494; 1 Bom. 262; 5 Cal. 855; 6 Cal. L. R. 473; 5 N. W. P. 89. मगर शर्त यह है कि वह क़र्जा बे क़ानूनी न हो और बुरे कामकी गरज़सें न लिया गया हो । खान्दानके कामोंके लिये लिया गया था या नहीं इस बातका कोई प्रश्न नहीं उठता । उक्त डिकरीके पाबन्द पुत्र भी होंगे चाहे पुत्र उस मुक़दमे में फरीक़ बनाये गये हों या न बनाये गये हों देखो - -1 1. A. 321; 14 B. L. R. 187; 22 W.R. C. R.56-59; 9 Mad. 343-345-349; 13 I. A. 1; 13 Cal. 21; 6 I. A. 88; 5 Cal. 148-171; 5 Cal. L. R. 226–238; 15 I. A.. 99; 15 Cal. 717; 16 I.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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