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________________ दफा ४२६ ] अलहदा जायदाद ५०३ जब कि वलीने १२ फी सर्दी चक्रविधि ब्याज देना स्वीकार किया था, उस अवस्थामें अदालतने उसे घटाकर ६ फीसदी रक्खा था, चन्द्रिकाप्रसाद बनाम रामसागर 12 0. L. J. 5657 20. V. N. 425; 89 I. C. 567; A. I. R. 1925 Oudh 459. मेनेजर द्वारा इन्तकाल कब लाज़िमी है-सुवासिनीदासी बनाम हाबू घोष A. I. R. 1926 Cal 247. इन्तकाल-आवश्यकता-सुबूत-जोगेशचन्द्र घोष बनाम चपला सुन्दरी बसु A. I. R. 1926 Cal. 383 महाजनोंके सम्बन्धमें यह आवश्यक नहीं है कि वे कोई अन्यही व्यक्ति हों-मैनेजर द्वारा अपने हिस्सेका अपने व्यक्तिगत ऋणके लिये रेहननामाकी पाबन्दी कहां तक है-मेनेजरका इन्तकालका अधिकार--जैनारायण बनाम महाबीरप्रसाद 3 0. W. N. Sup. 23. __ मुश्तरका खान्दानके जायज़ रेहननामोंकी अदाई में किये हुये बयनामों की पाबन्दी हिस्सेदारोंपर है, लालबहादुर बनाम अम्बिकाप्रसाद 23 L. W. 220; 91 I. C. 471; 28 0. C. 371; 12 0. L.J. 649; 30C. W. N. 7017 A. I. R. 1925 P. C. 264(P. C.) इन्तकाल वली द्वारा-आवश्यकता या लाभ नहीं साबित हुआभावी वारिसोंको जायदादकी वापसीमें मुन्तकिलअलेहको मावजेके अदा करनेकी आवश्यकता नहीं है-बेपना सीतय्या बनाम रामस्वामी 91 I. C. 758: A. 1. R. 1925 Mad. 1288. एक डिकरीदारको, जिसे केवल एक अविभक्त पुत्रके विरुद्ध डिकरी प्राप्त है, अपनी डिकरीकी तामीलमें, पुत्रके पिताकी उस जायदादको, जो पिताके कब्जे में हो, तभी कुर्क करनेका अधिकार है जब पुत्रको पिताके योबन कालमें ही उसके बटवारेका अधिकार प्राप्त हो पञ्जाबमें हिन्दूलॉ का यह आम कायदा है कि पुत्र ऐसा बटवारा नहीं करा सकता, गहरूराम बनाम ताराचन्द A. I. R. 1926 Lah. 85. . उदाहरण-उपरोक्त छोटेराम वाले मुकद्दमेके वानियात यहथे-'महेश' और रमेश दोनों सगे भाई मुश्तरका खान्दानमें रहते हैं, महेश परदेश चला गया, रमेशके सिपुर्द खान्दानका व्यापार और प्रबन्ध था, महेशकी गैरहाज़िरी में और उसकी रजामन्दीके बिना खान्दानके कारोबारके लिये और अपनी बहिनके बिवाहके खर्चके लिये रमेशने मुश्तरका जायदादका एक मकान बेंच डाला क्योंकि यह बेचना कानूनन् जायज़ था इसलिये महेशके ऊपर यह बिक्री लागू पड़ेगी अर्थात् महेश उस बयनामाका पाबन्द होगा। यह समझा जायगा कि महेश भी यही चाहता था कि रमेश मेनेजरकी हैसियतसे खान्दानकी
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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