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________________ मुश्तरका खान्दान [ छटवां प्रकण ar पैतृक सम्पतिके हक़के लेवें, और इसीलिये हरएक हिस्सा जो हरएक लड़को मिला है वह उनके पास उनकी मर्द औलाद के लिये पैतृक संपत्ति होगी यानी मुश्तरका खानदानकी जायदाद होगी - और उसकी पुरुषसंतान अपनी पैदाइश से हक़ प्राप्तकर लेगी । देखो नागालिंग बनाम रामचन्द्र ( 1901 ) 24 Mad. 429. ( ३ ) ऐसा मानो कि अ, वसीयत द्वारा अपने लड़केको जायदाद इन शब्दों के साथ देता है "मेरे मरनेके बाद मंगलदास मेरी जायदादका मालिक होगा वह उसको बेचनहीं सकेगा और न गिरवी रख सकेगा लेकिन उसके भाईसे उस जायदादका और खानदानका खर्चा किया करेगा और बचतका रुपया किसी ठीक जगहपर ब्याज के लिये जमाकर देगा लेकिन यह सब मेरे लड़के मंगलदासका ही होगा और अगर उसे कभी जायदाद के बेचने या गिरवी रखने की ज़रूरत पड़े तो इस वसीयतमें लिखे हुये 'इक्ज़ीक्यूटरों' की राय 'केकर करसकता है” बंबई हाईकोर्टने यह निश्चित किया कि इन शब्दों से बाप का इरादा पाया गया कि उसका लड़का मङ्गलदास उसकी जायदादको पूरे अधिकारके साथ ले और बाक़ीकी इबारत जो वसीयत में लिखी थी उससे कोई विरुद्ध इरादा न पाये जानेकी वजेहसे लड़का उस जायदादको बतौर अलहदा जायदाद के लेगा और उस लड़केकी मर्द औलाद अपनी पैदाइश से हक़ प्राप्त नहीं करेगी 10 Bom. 528. नोट- 'मुश्तरका खानदान की जायदाद कौन है यह बात ऊपर मोटे तरीके से बताई गई है । मुश्तरका जायदाद और मौरूसी जायदाद में क्या फरक है. यह बात भी समझ लेना चाहिये । मौरूस्ती जायदाद वह कहलाती है जो बाप, दादा, या परदादासे मिली हो ऐसी जायदाद मिलने वालेकी पुरुष सन्तान के लिए मौरूसी जायदाद होती है और मुश्तरका जायदाद में मौरूसी जायदाद शामिल होनेपर भी वह भी जायदाद शामिल हो जाती हैं कि जो दूसरे तरीकोंसे प्राप्त की गयी हो । पैतृक सम्पत्ति और मौरूसी जायदाद में कुछ फरक अन्तमें नहीं है सिर्फ शब्दका फरक है । वह सब जायदाद जो, मर्द हिन्दू अपने बाप, दादा, परदादासे पाता है। पैतृक सम्पत्ति कहलाती है, मिताक्षराके अनुसार पैतृक सम्पत्ति में खास बात यह होती है कि बेटे, पोते, परपोते अपनी पैदाइशसे उस जायदादमें हक़, प्राप्त कर लेते हैं हक़ उनको उनकी पैदाइशके वक्तसे लागू होता है यानी अगर 'राम' कोई जायदाद मनकूला या गैर मनकूला अपने बाप दादा या परदादा से पाये तो वह जायदाद उसकी पुरुष सन्तानके लिये पैतृक सम्पत्ति होती है । और अगर रामके कोई बेटा, पोता, परपोता नहीं है जिस वक्त कि उसे जायदाद मिली है तो राम उस जायदादका पूरा मालिक है और उसे जो चाहे कर सकता है, लेकिन अगर जायदाद पाते समय उसके कोई बेटा, पोता, परपोताहो अथवा कोई लड़का, पोता, परपोला पीछेसे पैदाहो जायतो वह लोग खानदानमें सिर्फ पैदा होने की वजेहसेही उस जायदादमें हक़ पानेके अधिकारी
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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