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________________ मुश्तरका खान्दान [ छठवां प्रकरण मुश्तरका जायदाद होती है। दूसरे किसी रिश्तेदारसे पायी हुई जायदाद अपनी अलहदा जायदाद होती है उसमें मर्द श्रलाद अपनी पैदाइशसे कोई हक़ नहीं प्राप्त कर सकती यानी वह जायदाद जो परदादाके बापसे या दूसरे दूरके पूर्वजोंसे या भिन्न शाखा वालोंसे जैसे चाचा भतीजा आदि या किसी स्त्री से जैसे मा, दादी आदिसे पायी हुई जायदाद अलहदा होती है, देखोनन्दकुमार बनाम रजीउद्दीन 10 Beng. L. R. 183. ૪૬ wwwww - (१७) बटवारा कराने पर जो हिस्सा जायदादका मिलता है। मुश्तका जायदाद बटवारेमें जो कोपार्सनर अपने हिस्सेकी जायदाद पाता है वह उसकी मर्द औलादके लिये यानी लड़के, पोते, परपोतोंके लिये मौरूसी जायदाद होती है । लड़के, पोते परपोते अपनी पैदाइशसे उसमें हक्क प्राप्त कर लेते हैं; 29 Ail. 244; 34 I. A 65; 9 Bom. 438. चाहे वह बटवारा करानेके वक्त ज़िंदा हों या पीछेसे पैदा हुये हों 3 Cal. 1. मगर ऐसा हिस्सा सिर्फ मर्द औलाद ही लिये मौरूसी है, दूसरे रिश्तेदारोंके लिये वह उसकी अलहदा जायदाद है । और अगर ऐसा कोपार्सनर जिसने बटवारा करा लिया हो मरते समय कोई लड़का, पोता, परपोता, न छोड़े तो वह जायदाद उसके वारिसों को उत्तराधिकार के अनुसार मिलेगी; 17 All. 456; 22 I. A.139. उदाहरण - ऐसा मानो कि, क, और ख, दो भाई मुश्तरका खानदान के मेम्बर हैं । क, के एक लड़का ग, है और ख, के कोई लड़का नहीं है मगर एक औरत है । क, धौर ख, दोनों मुश्तरका जायदादका बटवारा करा लेते हैं । अब क, की बटवाराकी हुई जायदाद तो ख, के लिये अलहदा जायदाद है । मगर क, के लड़के ग, के लिये वह जायदाद मौरूसी है । इसी तरहपर ख, की बटवारा कराई हुई जायदाद क, के लिये अलहदा जायदाद है । और जब ख, बिना किसी मर्द औलादके मर जाय तो वह जायदाद उसकी औरत विधवाको उत्तराधिकारसे मिलेगी । बटवारा करानेसे बटवारा कराने वाले आदमियोंके बीच में आपसका हक़ टूट जाता है लेकिन बाप और उसकी मर्द औलाद फिर भी मुश्तरका रहते हैं अगर बाप और उसकी मर्द औलाद बटधारा करालें तो उनका भी आपसका हक़ टूट जाता है। जब कोई कोपार्सनर बटवारा होनेपर अपने हिस्से में कोई रेहनकी हुई जायदाद पाता है और बाद में उसको अपनी अलहदा कमाई हुई द्रव्यसे छुटा लेता है तो इससे जायदाद की शकल नहीं बदल जाती यानी वह छुड़ाई हुई जायदाद पैतृक सम्पत्ति बनी रहती है और उसकी मर्द औलाद अपनी पैदाइशसे उसमें हक़ प्राप्त कर लेती है, देखो 5 Mad. H. C. 150. जब किसी कोपार्सनरको रेहन रखी हुई जायदाद हिस्से में मिली हो और वह जायदाद ज़ब्त होगयी हो अर्थात् जिसके पास रेहन रखी थी उसका रुपया न पहुंचने के सबबसे उसने उस जायदाद को जब्त कर लिया हो और उसके पीछे कोपार्सनर ने अपने खुद कमाये हुये
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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