SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 542
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दफा ४१७] कोपार्सनर प्रापर्टी ४६१ जायदादमें उनके लड़कोंका हक्क कुछ नहीं होगा क्योंकि वह कोपार्सनरीजायदाद नहीं है । देखो-मेन हिन्दूलों की दफा 277. चतुर्भुज बनाम धरमसी. Bom. 438, 445. (४) दान या वसीयत द्वारा दान जो मुश्तर का खान्दानको दिया जाय; देखो-दफा ७६७ ऐसा माना गया है कि-जो दान या वसीयत द्वारा दान ( Devise ) किसी मुश्तरका खामदानके सब आदमियोंको दिया गया हो वह मुश्तरका जायदाद नहीं माना जायगा । देखो-किशोरी दुवाइन बनाम मुद्रादुवाइन ( 1911 ) 33 All. 665. दिवालीबाई वनाम बेचरदास पटेल (1902) 26 Bom. 445. परन्तु बम्बई हाईकोर्टने राधाबाई बनाम नानाराव ( 1879 ) 3 Bom. 151. में, और मदरास हाईकोर्टने येथी राजलू नायडू बनाम मुकुंथू नायडू ( 1905 ) 28 Mad 363. कुन्हाचा उन्मा बनाम कुट्टी मम्मी हाजी ( 1892 ) 16 Mad. 201 में माना है कि दान या वसीयत द्वारा दान जो मुश्तरका खान्दानके सब मेम्बरोंको दिया गया हो अगर देने वालेका कोई दूसरा इरादा साफ़ तरहसे जाहिर न कर दिया गया हो तो वह दान या. वसीयत द्वारा दानका धन मुश्तरका जायदाद समझा जायगा। - ऐसा कहा गया है कि ऊपर वालीराय टगोरवाले मुकदमें-( जितेन्द्रमोहन टगोर बनाम गणेन्द्रमोहन टैगोर सन 1872 I. A. Sup Vol 47; 9 B. L. R. 377; 18 W. R. O. R. 359.) के विरुद्ध पड़ती है। क्योंकि इसके अनुसार ये लोग भी जिनका जन्म उस समय नहीं हुआ, जन्मके बाद मुश्तरका जायदादमें अर्थात् दान या वसीयत द्वारा दानकी जायदादमें हक्क प्राप्त कर सकते हैं। परन्तु किसी किसी एक श्रेणी (Class ) के लोगोंको दिये हुये दानके विषयमें जो फैसले हालमें हुए हैं उनसे इस बातका खण्डन होता है । टगोरकेसको तथा नरसिंहरावके केसको विस्तारसे देखो दफा८०७. . (५) बाबुआनाके तौरपर दी हुई जायदाद । बाबुआनाके तौरपर जो जायदाद किसी मुश्तरका खानदानके कनिष्ट (Junior) कुटुम्बीको, और उसकी सीधी पुरुष सन्तानको दीजाय उसके विषयमें देखो-रामचन्द्र माड़वारी बनाम मुदेश्वरसिंह ( 1906) 33 Cal. 1168; 10 C. W. N. 979%3B दुर्गादत्तसिंह बनाम रामेश्वरसिंह ( 1909) 36 I. A. 176; 36 Cal. 943 13 0. W. N. 1013; 11 Bom. L. R. 901; ललितेश्वरसिंह बनाम भवेश्वरसिंह (1908 ) 35 Cal. 823; 12 C. W. N. 958. (६) समझौतेसे प्राप्तकी हुई जायदाद । जब मुश्तरका खानदानमें कोई ऐसी जायदाद शामिल होजाय जो किसी समझौते (Compromise ) भनवा इन्तज़ाम ( Arrangement )के द्वारा आई हुई हो, चाहे वह मौरूसी श्री हो तो इस बातका निर्णय कि वह जायदाद कोपार्सनरी है या नहीं उस
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy